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Azadi Ka Amrit MahotsavPoetry22 min read

मिला गुरु गौरव सम्मान, हमारा प्यारा हिन्दुस्तान | Independence Day

KavishalaKavishala August 13, 2022
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[स्वतंत्रता दिवस की पुकार - अटल बिहारी वाजपेयी]

पन्द्रह अगस्त का दिन कहता - आज़ादी अभी अधूरी है।

सपने सच होने बाक़ी हैं, राखी की शपथ न पूरी है॥


जिनकी लाशों पर पग धर कर आजादी भारत में आई।

वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥


कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आंधी-पानी सहते हैं।

उनसे पूछो, पन्द्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥


हिन्दू के नाते उनका दुख सुनते यदि तुम्हें लाज आती।

तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥


इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।

इस्लाम सिसकियाँ भरता है,डालर मन में मुस्काता है॥


भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।

सूखे कण्ठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥


लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।

पख़्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन ग़ुलामी का साया॥


बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।

कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥


दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे।

गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥


उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।

जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥



[आज़ादी का नया वर्ष - हरिवंशराय बच्चन]

प्रथम चरण है नए स्वर्ग का,

नए स्वर्ग का प्रथम चरण है,

नए स्वर्ग का नया चरण है,

नया क़दम है!

जिंदा है वह जिसने अपनी

आज़ादी की क़ीमत जानी,

ज़िंदा, जिसने आज़ादी पर

कर दी सब कुछ की कुर्बानी,

गिने जा रहे थे मुर्दों में

हम कल की काली घड़ियों तक,

आज शुरू कर दी फिर हमने

जीवन की रंगीन कहानी।

इसीलिए तो आज हमारे

देश जाति का नया जनम है,

नया कदम है!

नए स्वर्ग का प्रथम का चरण है,

नए स्वर्ग का नया चरण है,

नया कदम है,

नया जनम है!


हिंदू अपने देवालय में

राम-रमा पर फूल चढ़ाता,

मुस्लिम मस्जिद के आंगन में

बैठ खुदा को शीश झुकाता,

ईसाई भजता ईसा को

गाता सिक्ख गुरू की बानी,

किंतु सभी के मन-मंदिर की

एक देवता भारतमाता!

स्वतंत्रता के इस सतयुग में

यही हमारा नया धरम है,

नया कदम है!

नए स्वर्ग का प्रथम का चरण है,

नए स्वर्ग का नया चरण है,

नया कदम है,

नया धरम है!


अमर शहीदों ने मर-मरकर

सदियों से जो स्वप्न सँवारा,

देश-पिता गाँधी रहते हैं

करते जिसकी ओर इशारा,

नए वर्ष में नए हर्ष से

नई लगन से लगी हुई हो

उसी तरफ़ को आँख हमारी,

उसी तरफ़ को पाँव हमारा।

जो कि हटे तिल भर भी पीछे

देश-भक्ति की उसे कसम है,

नया कदम है!

नए स्वर्ग का प्रथम का चरण है,

नए स्वर्ग का नया चरण है,

नया कदम है!

नया जनम है!

नया धरम है!


[हमारा प्यारा हिन्दुस्तान - गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही']

जिसको लिए गोद में सागर,

हिम-किरीट शोभित है सर पर।

जहाँ आत्म-चिन्तन था घर-घर,

पूरब-पश्चिम दक्षिण-उत्तर॥


जहाँ से फैली ज्योति महान।

हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥


जिसके गौरव-गान पुराने,

जिसके वेद-पुरान पुराने।

सुभट वीर-बलवान पुराने,

भीम और हनुमान पुराने॥


जानता जिनको एक जहान।

हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥


जिसमें लगा है धर्म का मेला,

ज्ञात बुद्ध जो रहा अकेला।

खेल अलौकिक एक सा खेला,

सारा विश्व हो गया चेला॥


मिला गुरु गौरव सम्मान।

हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥


गर्वित है वह बलिदानों पर,

खेलेगा अपने प्रानों पर।

हिन्दी तेगे है सानों पर,

हाथ धरेगा अरि कानों पर॥


देखकर बाँके वीर जवान।

हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥


[आह्वान - अशफाकउल्ला खां]

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,

आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।


हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से,

तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे।


बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,

चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे।

परवा नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,

है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे।


उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे,

तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे।


सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका,

चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे।


दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं,

ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे।


मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए ज़ालिम,

आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे।




[नमन करूँ मैं - रामधारी सिंह "दिनकर"]

तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ मैं।

मेरे प्यारे देश! देह या मन को नमन करूत्र मैं?

किसको नमन करूँ मैं भारत, किसको नमन करूँ मैं?


भारत नहीं स्थान का वाचक, गुण विशेष नर का है,

एक देश का नहीं शील यह भूमंडल भर का है।

जहाँ कहीं एकता अखंडित, जहाँ प्रेम का स्वर है,

देश-देश में वहाँ खड़ा भारत जीवित भास्वर है!

निखिल विश्व की जन्म-भूमि-वंदन को नमन करूँ मैं?

किसको नमन करूँ मैं भारत! किसको नमन करूँ मैं?


उठे जहाँ भी घोष शान्ति का, भारत स्वर तेरा है,

धर्म-दीप हो जिसके भी कर में, वह नर तेरा है।

तेरा है वह वीर, सत्य पर जो अड़ने जाता है,

किसी न्याय के लिए प्राण अर्पित करने जाता है।।

मानवता के इस ललाट-चंदन को नमन करूँ मैं?

किसको नमन करूँ मैं भारत! किसको नमन करूँ मैं?



[रोटी और स्वाधीनता - रामधारी सिंह "दिनकर"]

(1)

आजादी तो मिल गई, मगर, यह गौरव कहाँ जुगाएगा ?

मरभुखे ! इसे घबराहट में तू बेच न तो खा जाएगा ?

आजादी रोटी नहीं, मगर, दोनों में कोई वैर नहीं,

पर कहीं भूख बेताब हुई तो आजादी की खैर नहीं।

(2)

हो रहे खड़े आजादी को हर ओर दगा देनेवाले,

पशुओं को रोटी दिखा उन्हें फिर साथ लगा लेनेवाले।

इनके जादू का जोर भला कब तक बुभुक्षु सह सकता है ?

है कौन, पेट की ज्वाला में पड़कर मनुष्य रह सकता है ?

(3)

झेलेगा यह बलिदान ? भूख की घनी चोट सह पाएगा ?

आ पड़ी विपद तो क्या प्रताप-सा घास चबा रह पाएगा ?

है बड़ी बात आजादी का पाना ही नहीं, जुगाना भी,

बलि एक बार ही नहीं, उसे पड़ता फिर-फिर दुहराना भी।



[प्यारा हिन्दुस्तान - नज़ीर बनारसी]

जिसका है सबको ज्ञान यही है

सारे जहाँ की जान यही है

जिससे है अपनी आन यही है


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


हँसता परबत हँसमुख झरना

पाँव पसारे गंगा-जमना

गोदी खोले धरती-माता


मेरा निवास स्थान यही है

प्याारा हिन्दुस्तान यही है


एक तो ऊँचाा सबसे हिमाला

उस पर मेरे देश का झंडा

धरती पर आकाश का धोका


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


परबत कितना जमक अड़े हैं

कैसे-कैसे भीम खड़े हैं

झरने गिर-गिर पाँव पड़े हैं


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


परबत ऊँची चोटी वाले

बाँके तिरछे नोक निकाले

अर्जुन जैसे बान सँभाले


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


आरती इसकी चाँद उतारे

ऊषा इसकी माँग सँवारे

सूरज इस पर सब कुछ वारे

मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


झूमती गायें नाचते पंछी

सारी दुनिया रक़्सो मस्ती


मेरा निवास स्थान यहीं है

 प्यारा हिन्दुस्तान यही है


जाल बिछाए जाल सँभाले

कमसिन सड़कें माँग निकाले

बाल बिखेरे नद्दी-नाले


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


रात की नारी डूब गई है

सुबह की देवी जाग चुकी है

पनघट पर इक भीड़ लगी है


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


सुन्दर नारी नार सँभाले

घूँघट काढ़े और हटाले

चलते-चलते प्रेम शिवाले


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


धरती की पोशाक नयी है

खेती जैसी सब्ज़ परी हे

 मेहनत अपने बल पे खड़ी है


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


पड़ती बूँदे बजली पायल

धरती जल थल पंछी घायल

बोले पपीहा, कूके कोयल


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


देश का इक-इक नैन कटोरा

सारे जहाँ पर डाले डोरा

अपना अजन्ता अपना एलोरा


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


ताज महल बेमिस्ल हसीना 

इस में मिला कितनों का पसीना

जब कहीं चमा है ये नगीना


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


अहदे वफ़ा की लाज तो देखो

शाह के दिल पर राज तो देखो

प्रेम के सर पर ताज तो देखो


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


भारत की तक़दीर को देखो

जन्नत की तस्वीर को देखो

आआ ज़रा कश्मीर को देखो


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


एक इसी कश्मीर का दर्शन

कितनों के दुख-दर्द का दर्पन

आस नहाए बरसे जीवन


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


एक तरफ़ बंगाल का जादू

सर से कमर तक गेसू की गेसू

फैली हुई टेैगोर की ख़ुशबू


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


काली बलाएँ सर पर पाले

शाम अवध की डेरा डाले

ऐसे में कौन अपने को सँभाले


मेरा निवास स्थान यही है

 प्यारा हिन्दुस्तान यही है


हुस्न की तस्कीं इश्क़ की ढारस

वाह रे अपने सुब्हे बनारस

घाट के पत्थर जैसे पारस


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


मंदिर-मस्जिद और शिवाले

मानवता का भार सँभाले

कितने युगों को देखे-भाले


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यही है


फूलों के मुखड़े चूम रहे हैं

काले भौरें घूम रहे हैं

अम्न के बादल झूम रहे हैं


मेरा निवास स्थान यही है

प्यारा हिन्दुस्तान यहीं है



[आज़ादी - राम प्रसाद बिस्मिल]

इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,

हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं।


कभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं।

मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं।


असीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देता,

रहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैं।


रहा करता है अहले-ग़म को क्या-क्या इंतज़ार इसका,

कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं।


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