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मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए - ज़फ़र गोरखपुरी | Kavishala

KavishalaKavishala November 14, 2022
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मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए 

बन गई है मसअला सारे ज़माने के लिए 


रेत मेरी उम्र मैं बच्चा निराले मेरे खेल 

मैं ने दीवारें उठाई हैं गिराने के लिए 


वक़्त होंटों से मिरे वो भी खुरच कर ले गया 

इक तबस्सुम जो था दुनिया को दिखाने के लिए 


आसमाँ ऐसा भी क्या ख़तरा था दिल की आग से 

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