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मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए - ज़फ़र गोरखपुरी | Kavishala
November 14, 2022Share0 Bookmarks 52483 Reads1 Likes
मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए
बन गई है मसअला सारे ज़माने के लिए
रेत मेरी उम्र मैं बच्चा निराले मेरे खेल
मैं ने दीवारें उठाई हैं गिराने के लिए
वक़्त होंटों से मिरे वो भी खुरच कर ले गया
इक तबस्सुम जो था दुनिया को दिखाने के लिए
आसमाँ ऐसा भी क्या ख़तरा था दिल की आग से
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