
Share0 Bookmarks 187 Reads0 Likes
कैसा अजीब आया है इस साल का बजट
मुर्ग़ी का जो बजट है वही दाल का बजट
जितनी है इक क्लर्क की तनख़्वाह आज कल
उतना है बेगमात के इक गाल का बजट
सिर्फ़ एक दिन में बीस मुसाफ़िर हुए हलाक
हाज़िर है साईं गुलशन-ए-इक़बाल का बजट
टीवी का ये मज़ाक़ अदीबों के साथ है
शाएर से दुगना रख दिया क़व्वाल का बजट
बिछड़े थे जब ये लोग महीना था जून का
सोहनी बना रही थी महींवाल का बजट
दामाद को निकाल के जब भी हुआ है पेश
सालों ने पास कर दिया ससुराल का बजट
बिकती है अब किताब भी कैसेट के रेट पे
कैसे बनेगा 'ग़ालिब' ओ 'इक़बाल' का बजट
माँ कह रही थी रंग लिपस्टिक के देख कर
चट कर दिया बहू ने मिरे लाल का बजट
दोनों बने हैं बाइस-ए-तकलीफ़ आज-कल
'इसहाक़'-डार और नए साल का बजट
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments