होली - नरेंद्र शर्मा's image
HoliPoetry1 min read

होली - नरेंद्र शर्मा

KavishalaKavishala March 17, 2022
Share0 Bookmarks 38203 Reads0 Likes

खेल रहा होली, शर भर भर

तेजस का तूणीर!

बेध रहा भूरज की देही

सूरज अमित अधीर!

प्राणशक्ति का धनुष बनाया,

तेज-बीज के बान!

तरुण अरुण रवि उगा क्षितिज पर

भोर बनी मुस्कान!

वल्कलधारिण धरा किरातिन

रवि किरात रणधीर!

खेल रहा होली, शर भर भर

तेजस का तूणीर!

मदोन्मत्त फाल्गुन फिर आया,

फिर रंजिश नभ नील!<

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts