
Friendship Day2 min read
November 21, 2020
दोस्ती ख़्वाब है और ख़्वाब की ता'बीर भी है, रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी है

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दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में
जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते हैं
- लाला माधव राम जौहर
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
- हफ़ीज़ होशियारपुरी
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है
- शकील बदायुनी
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब
आ गया 'जौहर' अजब उल्टा ज़माना क्या कहें
दोस्त वो करते हैं ब
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