Share0 Bookmarks 199538 Reads0 Likes
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम कि तू नही
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments