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अरणीन्थने जातु यो विरन्तुं न चेष्टते

Kavishala SanskritKavishala Sanskrit December 5, 2023
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अरणीन्थने जातु यो विरन्तुं न चेष्टते ।

स एव लभते वह्निमेवं सिद्धेरपि प्रथा ॥


Hindi translation:

अरणियों के मन्थन (घर्षण) में जो रुकने की चेष्टा नहीं करता (रुकता नहीं) वही अग्नि को प्राप्त करता है।

सफलता की भी

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