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'जहाँ संघर्ष नहीं वहां प्रगति नहीं' | TVF Pitchers Season 2 [Must Watch]

Kavishala ReviewsKavishala Reviews December 23, 2022
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आखिकार दर्शको का इंतज़ार ख़त्म हुआ और पिचर्स का दूसरा सीजन आ गया! करीब ७ सालो बाद एक प्रासंगिक, यथार्थवादी और मन को प्रफुल्लित करने वाला यह एक शो है जो करोडो भारतियों और स्टार्टअप की दुनिया के लोगो का प्यार है! पिचर्स को देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि टीवीएफ ने अभिनय और प्रस्तुतीकरण का एक नया स्कूल शुरू किया है। टीवीऍफ़ ने पिचर्स, कोटा फैक्ट्री, पंचायत, एस्पिरेंट्स, गुल्लक जैसी श्रृंखलाओं के माध्यम से वास्तविकता और असत्य के बीच की रेखा को धुंधला करने की कोशिश की है, 'ऐसा केवल फिल्मों में होता है' वाला डायलॉग अब फेल होता नजर आ रहा है! पिचर्स कॉमेडी, ड्रामा का परफेक्ट कॉम्बिनेशन है। आपको हर तरह के सच्चे रिश्तों के बारे में यहाँ पता चलेगा, जीवन में बड़े चुनाव करना और त्याग करना सीखें।

'जहाँ संघर्ष नहीं वहां प्रगति नहीं'

पहले सीजन से थोड़ा काम अच्छा लेकिन अन्य वीडियो कंटेट से हजार गुना अच्छा है, वास्तविकता नजर आएगी आपको इसमें! नवीन कस्तूरिया, अरुणाभ कुमार, और अभय महाजन की तिकड़ी- अपने पात्रों नवीन बंसल, योगी और मंडल के रूप में सहज हैं। उन्होंने सात साल पहले जो भूमिकाएं निभाई थीं, वे अब भी पूरी तरह से निभा रहे हैं और उत्कृष्टता हासिल करना जारी रखे हुए हैं। वन-लाइनर्स डायलॉग बरकरार हैं, जैसा कि बॉडी लैंग्वेज है जिसे उन्हें अपने किरदारों के रूप में बनाए रखना था। हालांकि, पहले सीजन में जीतू का किरदार था जिसने भावनाओं और काम के बीच संतुलन बनाने की कठिनाई को खूबसूरती से चित्रित किया था । नवीन ने कई भूमिकाएँ भी निभाईं, और यह वह आंतरिक दुविधा थी जिसका उसने सामना

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