
India Lockdown: फिल्म को मनोरंजन के लिए बिलकुल न देखें, महामारी की भयावहता की याद दिलाएगी

इस दुनिया में हर चीज की कीमत होती है!
दुनिया और देश की वास्तविक स्थिति को इस फिल्म के माध्यम से जिस तरह से दिखाया गया है वो वास्तव में देखने लायक है! फिल्म में चार कहानियाँ एक साथ चलती हैं जो अलग अलग के संघर्षो के न्यूनतम संसाधनों के साथ आगे बढ़ रही होती हैं!
मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं
कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम्।
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं
नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम्॥
एक अकेला पिता और एक अकेली बेटी जिस तरह से अपनी जिंदगी जीते है! ठेले वालों का काम बंद होने के बाद उन्होंने किस तरह से अपनी जिंदगी आगे बढ़ाई, हर घर में राशन की समस्या! एक दूसरे के सामने छोटी छोटी बातों के लिए गिड़गिड़ना, क्या क्या नहीं दिखाया लकडाउन ने! हज़ारो किलोमीटर चलना फिर उसके बाद भी जिंदगी की मार. आँख खुली अंधे की, What लगी धंधे की, ऐसी समस्या जिसने सबको रुलाया! दूसरी तरफ लोगों ने किस तरह से जिंदगी जीने के और आगे बढ़ने के दूसरे विकल्प निकल लिए डरना मरना से बेहतर है! फिल्म में लॉकडाउन के उन काले दिनों के हर किस्से को समझने और समझाने के लिए इस फिल्म को जरूर देखें!
फिल्म को मनोरंजन के लिए बिलकुल न देखें! यह फिल्म देश में पैदा हुए कहर को दिखाती है जहां मजदूर वर्ग का समाज अपने परिवारों के साथ रहने के लिए संघर्ष करता है और जीवन के मौन और बंद चरण को समायोजित करने का प्रयास करता है। प्रतीक बब्बर, साई ताम्हणकर, श्वेता बसु प्रसाद, अहाना कुमरा और प्रकाश बेलावाड़ी अभिनीत महामारी-प्रेरित लॉकडाउन की चार समानांतर उत्तरजीविता की कहानियां प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
India Lockdown
Directed by: Madhur Bhandarkar
Written by: Amit Joshi, Aradhana Sah
Produced by: Jayantilal Gada, Madhur Bhandarkar, Pranav Jain
Starring: Shweta Basu Prasad, Aahana Kumra, Prateik Babbar, Sai Tamhankar, Prakash Belawadi, Tahura Mansuri
Language: Hindi
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