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विजयदान देथा की लिखी लघुकथा "दुविधा" पर फिल्माई फ़िल्म "पहेली"

Kavishala ReviewsKavishala Reviews November 10, 2021
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"दुनिया की सारी दौलत अतीत को वापस नहीं ला सकती है,

और उनकी कहानी उन लोगों के साथ लगती है जो

भौतिक मूल्यों पर समय और मानवीय रिश्तों को महत्व देते हैं।"

— विजयदान देथा

समीक्षा :-

विजयदान देथा की सबसे अच्छी कहानियों में से एक है, "दुविधा" या "द डिलेम्मा"। ये कहानी 2005 में "पहेली " फिल्म के रूप में अमोल पालेकर द्वारा फिल्माई गई जिसके मुख्य कलाकार शाहरुख खान और रानी मुखर्जी थे। एक मानवीय दुर्दशा को इतनी दृढ़ता से चित्रित किया गया है कि हम अपने पढ़ने को धीमा कर देते हैं, स्थिति की जटिलता का स्वाद लेना चाहते हैं। इस कहानी में एक महिला की दुविधा का वर्णन किया गया है, जिसमे वह खुदको एक असाधारण प्यार को अस्वीकार करनेकी स्थिति में आ जाती है। और साथ ही साथ एक व्यापारिक मानसिकता को भी दर्शाया गया है। 

"द डिलेम्मा" में, भूत को पता चलता है कि वह इतनी कठिन स्थिति में है कि उसे "सत्य और असत्य के बीच की बारीक धार पर उतनी ही कुशलता से चलना है जितना कि स्वयं बुद्धिमान युधिष्ठिर " को चलना पड़ा। इस कहानी में हर किरदार अपनी एक दुविधा से जूझ रहा है। चाहे वह दुल्हन हो, भूत हो, या व्यापारी पति हो। भूत की मनन दशा ऐसी है कि, एक भूत होकर भी उसे बनो एक मनुष्य से प्यार हो जाता है और वह उसे हासिल करना चाहता है। एक दुल्हन, जिसे अपने पति से प्रेम करना चाहिए, पर वह उस भूत से प्यार कर बैठती है। जो कभी उसे हासिल हो ही नहीं सकता। और एक पति जो, जिसको प्यार करता है उसको ही उसे छोड़कर जाना पड़ता है। और जब उसे पाना चाहता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और वह किसी और से प्यार करने लगती हैं।

सारंश :-

कहानी शुरु होती है, एक नवविवाहित जोड़ी जो दुल्हन विदा करके अपने गांव लौट रहीं होती है। वे एक पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुकते हैं, जहां एक भूत रहता है। भूत लड़की की सुंदरता से इतना प्रभावित होता है कि उसे उससे प्यार हो जाता है। अजीब बात है कि पति, जो अपनी पत्नी के लिए कुछ ऐसा ही अनुभव कर रहा हो, अपने समुदाय की व्यापारिक मानसिकता में इतना फं

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