पहली प्रख्यात महिला पंजाबी कवयित्री - अमृता प्रीतम's image
Article6 min read

पहली प्रख्यात महिला पंजाबी कवयित्री - अमृता प्रीतम

Kavishala LabsKavishala Labs August 28, 2021
Share2 Bookmarks 213870 Reads3 Likes

सभ्यता का युग तब आएगा जब औरत की म़र्जी के बिना कोई औरत के जिस्म को हाथ नहीं लगाएगा! 


बीसवीं सदी की एक प्रख्यात कवयित्री और उपन्यासकार, अमृता प्रीतम जिन्हें पंजाबी कविता एवं साहित्य को ऊँचे स्तर पर पहचान दिलाने का श्रेय प्राप्त है।इन पंजाबी साहित्य की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री का जन्म पंजाब (भारत) के गुजराँवाला जिले में 31 अगस्त 1919 को हुआ था।वह एक लोकप्रिय एवं सम्मानित कवयित्री थी, जिनकी रचनाओं का विश्वभर के विविध भाषाओं में अनुवाद किया गया है।उन्हें पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री कहा जाता है, जिनका शरुआती जीवन लाहौर में व्यतीत हुआ और जहाँ से उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की। 

बचपन से ही उन्हें कविताएँ, कहानियाँ और निबंध लिखने में खासा रुची थी।आपको बता दें ये सुप्रसिद्ध कवयित्री तथा उपन्यासकार होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठ निबंधकार भी थी।


संघर्षों के बीच रहा अमृता प्रीतम का बचपन

अमृता प्रीतम के जीवन काल पर नजर डालने पर यह पता चलता है कि उन्होंने कई उतार-चढ़ाव का सामना किया था।महज 11 वर्ष की आयु में उनकी माता का निधन हो गया, जिसके बाद उनके ऊपर घर की सभी जिम्मेदारियां आ गई ।वही महज 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह कर दिया गया था, जो कम समय में ही टूट गया। अपने आत्मकथा रशीदी टिकट में वह बताती हैं कि तलाक के बाद उनकी नजदिकीयाँ साहिर लुधयानवी से बढ़ गई, लेकिन सुधा मल्होत्रा के लुधयानवी के जीवन में आने के बाद उनकी मुलाकात आर्टिस्ट और लेखक इमरान से हुई जिनके साथ उन्होंने अपना बाकी का जीवन व्यतीत किया। 


मुख्य लेखनी

अमृता प्रीतम ने अपने लेखनी में तलाकशुदा महिलाओं की कठिनाइयों तथा पीड़ा को बखूबी दर्शाया है, तथा कई गंभीर मुद्दों पर कार्य किया है। अपने 60 वर्ष के करियर में उन्होंने 100 से अधिक किताबें 28 नॉवेल, 5 लघु कथाए और बहुत सी कविताएँ भी लिखी है।महज 16 वर्ष की उम्र में ही उनका पहला संकलन प्रकाशित हो गया था।

 विभाजन के बाद वे भारत आ गई जहाँ उन्होंने पंजाबी के साथ-साथ हिंदी कविताएँ लिखना भी शुरू किया जिसके बाद वह दोनों देशों में काफी पसंद की जाने वाली कवयित्री बनीं गई थीं। 

1947-48 में हुए विभाजन की तबाही को उन्होंने बेहद करीब से देखा था। जिसका उनपर काफी प्रभाव पड़ा और अपने इस गुस्से को उन्होंने ”आज आखां वारिस शाह नु” कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया है । प्रीतम ने 1950 पिंजर (द स्केलेटन) लिखा, जो विभाजन पर बेहतरीन उपन्यासों में से एक था। 2003 में रिलीज हुई फिल्म "पिंजर" इसी उपन्यास पर आधारित थी, जिसने राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता था। 


उनकी कुछ रचनाएँ

उपन्यास- पिंजर, कोरे कागज़, आशू, पांच बरस लंबी सड़क उन्चास दिन, अदालत, हदत्त दा जिंदगीनामा, सागर नागमणि, और सीपियाँ, दिल्ली की गलियां, तेरहवां सूरज, रंग का पत्त  

कविता- रोजी, दावत, दाग़, निवाला, मैंने पल भर के लिए, मैं तैनू फ़िर मिलांगी

कहानी संग्रह- कहानियों के आंगन में, कहानियां जो कहानियां नहीं हैं।

संस्मरण- एक थी सारा, कच्चा आँगन।


प्रमुख सम्मान एवं पुरस्कार

विश्व प्रसिद्ध महान कवियित्री अमृता प्री

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts