
"ज़माने के जिस दौर से हम गुज़र रहें हैं अगर आप उससे वाक़िफ नहीं हैं तो मेरे अफसाने पढ़िए…"
किसने सोचा था आज के समय में भी इस शक्स की कही हुई हर बात उतनी ही सच्चाई से चुबेगी। क्योंकि आज भी इनकी हर कहानी समाज के आईने को बखूबी दर्शाती है।
सआदत हसन मंटो एक ऐसे मशहूर लेखक थे, जो अपनी लिखाई के लिए जीतने आबाद थे, उतने ही कुछ के लिए न बर्दाश्त भी थे।
इसलिए उनका कहना था, "अगर अप इन अफसानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते, तो इसका मतलब है कि ज़माना ही नाकाबिल-ए-बर्दाश्त है।"
मंटो, एक ऐसा नाम है जिसकी पहचान उनके विवादित अफसानों से करते थे लोग। एक तरफ जहां उन्हें समाज की सच्चाई बताने के लिए सराहा जाता था, वहीं उनकी लिखी कहानियों की निंदा भी बहुत की जाती थी।
समाज की हर रूढ़िवादी सोच के खिलाफ खड़े रहने वाले मंटो ने हमेशा औरतों के हक़ के लिए आवाज उठाई। अपनी लिखाई से वैश्याओं के लिए समाज में एक स्थान बनाया। हर औरत को देखने का नज़रिया बदलने के लिए मंटो कहते थे, "जो लोग समझ नहीं पाते कि औरत क्या चीज़ है, उन्हें पहले ये समझने की जरूरत है कि - औरत चीज़ नहीं है।"
मंटो की हर कहानी में
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