
"अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पढ़ा है, तू हर बाधा , हर बंदिश को तोड़, अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पे दौड़"
-नरेंद्र मोदी
आत्मनिर्भरता ,अपने नाम से ही अपना अर्थ बताने वाले इस हिंदी शब्द को २०२० में ऑक्सफ़ोर्ड हिंदी वर्ड ऑफ़ ईयर का किताब मिला था। आत्मनिर्भरता किसी के भी स्वयं की सक्षमता पर निर्भर करती है चाहे बात की जाए किसी मनुष्य या देश की ही। कोरोना काल में भारत का दम ख़म पुरे विश्व ने देखा ही जिसने अपने स्तर पर विदेशी वैक्सीन तैयार की और हालही में १०० करोड़ कोरोना डोज़ का आंकड़ा पार किया है ये सफलता जो भारत देश की आत्मनिर्भरता या अगर हम कहें आत्मनिर्भर भारत का एक सशक्त उदाहरण है। भारत विविध संस्कृतियों का देश है जिसकी संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतिओं में से एक है विविध परम्पराओं ,भेष भाषा और विविधीकरण वाला भारत देश सही माईनो में पुराने समय से ही आत्मनिर्भर रहा है ,जरुरी है उसे सही और सक्षम बनाने की। कभी सोने की चिड़ियाँ कहा जाने वाले भारत देश का अपने स्वर्ण काल एवं इतिहास रहा है हांलाकि कई परिस्थितियां बनी और देश को कई संघर्षों से गुजरना पड़ा। आत्मनिर्भरता ,हांलाकि यह शब्द नवीनतम नहीं है हमारा देश भारत आज़ादी के बाद से ही इस सपने को लिए रास्ता बनाने का प्रयास कर रहा है। सबसे बड़ा उदाहरण है स्वदेशी आंदोलन जिसका निर्वाह महात्मा गांधी ने देश के आजादी के संघर्ष के दौरान किया था। आत्मनिर्भरता की तरफ महात्मा गाँधी ने सबसे पहला कदम बढ़ाया था और स्वदेशी वस्तुओं को उपयोग करने के प्रति लोगो को जागरूक करने का कार्य किया, उनका चरखा आत्मनिर्भरता की उनकी सोच और भारत के भविष्य को लेकर उनके चिंतन का स्पष्टीकरण पूर्ण रूप से करता आज ७५ साल आज़ादी को हो चुके हैं परन्तु आज भी गाँधी जी का वो सपना पूर्ण रूप से सफल नहीं है। १२ मई २०२० को भारत के प्रधानमंत्री ने देश को सम्बोधित करते हुए कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए आत्मनिर्भरता एक सबसे बड़ा हतियार हो सकता है।
प्रख्यात कवी मैथिली शरण गुप्त की कविता को आत्मनिर्भरता से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी जी ने कविता का निर्माण किया जो इस प्रकार है :
"अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पढ़ा है, तू हर बाधा , हर बंदिश को तोड़, अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पे दौड़"
-नरेंद्र मोदी
आत्मनिर्भर भारत बनाने का ये स्वप्न पूरा करने के लिए जरुरी है पांच बिंदुओं पर कार्य करने की अर्थव्यवस्था,तकनिकी ,इंफ्रास्ट्रक्चर,मांग और बढ़ती जनसँख्या। साथ ही जरुरी है लघु उद्योगों और देशी उद्योगों को बढ़ावा देने की रोजगार के अवसर बढ़ाने की गरीबी भुखमरी जैसे समस्याओं की जिनकी जड़ें निचे तब विकसित हो चुकी हैं उन्हें उखाड फेकने की। पर सबसे ज़यादा जो महत्वपूर्ण है वो है सत्यनिष्ठा की। आज विश्व स्तर में भारत की जो छवि बनी है उसे बढ़ाने के लिए जरुरी है स्वप्रथम अपने कार्य अपने देश के प्रति निष्ठावान होना। हमने अपने बचपन में जो ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के पाठ पढ़ें हैं वास्तव में उन्हें अपने जीवन में उतारने कीभ्रष्टाचार की तो मजबूत परतें हमारी व्यवस्था में लदी हुई हैं उन्हें परत दर परत उधेरने की। भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए सभी को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिए प्रत्येक नागरिक को सतर्क होना चाहिए और उसे हर समय सत्यनिष्ठा व ईमानदारी के उच्च मानक बनाए रखने के लिए वचनबद्ध होना चाहिए।देश को विकासशील से विकसित बनाने के लिए इन दोनों ही बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य है।
हर नागरिक एक व्यक्तिगत तोर पर अपने देश के लिए कोई न कोई योगदान अवश्य देना चाहता है ऐसे में उसके लिए स्वप्रथम जरुरी है सत्यता की पराकाष्ठा को समझना और उस पर अमल करते हुए सत्यनिष्ठा से अपने कर्त्तव्य का निर्वाह करना। अगर हर व्यक्ति सत्यनिष्ठा का पालन करेगा तो जल्द ही हमारा देश विकासशील देशों की श्रेणी से विकसित देशों की श्रेणी में अपनी जगह बना लेगा।
अतः हम कह सकते हैं की सत्यनिष्ठा ही आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रतिबद्ध मार्ग है। सत्यनिष्ठा से आत्मनिर्भरता के ऐसी महत्वपूर्ण विषय की आज की जरुरत को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती के अवसर पर दिनांक २६ अक्टूबर से १ नवंबर २०२१ तक स्वतंत्र भारत @७५:सत्यनिष्ठा से आत्म निर्भरता विषय पर सतर्कता जागरुक्ता सप्ताह ,२०२१ का आयोजन किया जा रहा है ,जिसका मूल्य उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिक को सत्यनिष्ठा और नैतिक मूल्यों पर अपनी प्रतिबद्धता का बोध करना है। सरदार वल्लभभाई पटेल एक राष्ट्रीयवादी व्यक्तित्व थे जिन्होंने देश के अखंडता में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है। उनकी जयंती के अवसर पर इस विषय पर यह आयोजन आयोजित किया गया है। ऐसे में सभी के लिए आवश्यक है सभी को सत्यनिष्ठा का संकल्प लेने की और सत्यनिष्ठा से आत्म निर्भरता के इस राह में नियंत्रण बढ़ते रहने की।
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