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टोक्यो पैरालंपिक में भारत को मिली मेडल कि हैट्रिक

Kavishala LabsKavishala Labs August 29, 2021
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"मैं तब तक नहीं रुकता जब तक मैं अपने पसीने से एक बाल्टी भर नहीं लेता। मैं अपने आप को इतना धक्का देता कि अंत में मैं गिर जाता और मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ता, मैं भगवान से प्रार्थना करता कि मुझे बचाओ, वादा करो कि मैं करूँगा।"

- मिल्खा सिंह


टोक्यो में चल रहे पैरालंपिक गेम्स 2020 पर सबकी निगाहों का केंद्र बना हुआ है।इस बार पैरालिंपिक गेम्स में दुनिया के अलग-अलग देशों के 4408 पैरालंपिक एथलीट हिस्सा ले रहे हैं।खेलों का यह मेला 85 यह मेला 24 अक्टूबर से शुरू हुआ जो 25 सितंबर तक चलेगा.

एक तरफ जहाँ आज पूरा भारत राष्ट्रीय खेल दिवस मना रहा है, वही टोक्यो पैरालंपिक ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से मेडल कि हैट्रिक पूरी करके, इस दिन को और खास बना दिया है।


विश्वास कोई तोड़ने की चीज नहीं है, तोड़ना ही है तो खेल में किसी का रिकॉर्ड तोड़ो। – ध्यान चंद


भारत ने टोक्यो पैरालंपिक में डिस्क थ्रो में शानदार प्रदर्शन करते हुए ब्राॅन्ज को अपने नाम किया है । विनोद कुमार ने 19.91 मीटर का थ्रो फेंककर तिसरा स्थान प्राप्त किय और इसके साथ  एशियाई रिकॉर्ड को भी तोड़ दाला है। विनोद सिल्वर के काफी करीब थे, लेकिन आखिरी क्षणों में वह चूक गए। 

डर तो मुझे भी लगा फासला देखकर, पर मैं बढ़ता गया

रास्ता देख कर खुद ब खुद मेरे नजदीक आती गई मेरी मंजिल मेरा हौसला देखकर।

राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन ही विनोद से पहले टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल ने महिला एकल क्ला 4 इवेंट में सिल्वर मेडल जीता। और इस वाक्य को सिद्ध कर दिया है।टूर्नामेंट में भारत को पहला टेबल टेनिस मेडल गुजरात के एक छोटे से गांव से आने वाली भाविनी ने ही दिलाया था। 

इसके बाद निषाद कुमार ने मेंस T47 हाई जंप में निषाद कुमार ने 2.06 मीटर की जंप के साथ एक और सिल्वर भारत के नाम कर दिया।

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के रहने वाले निषाद कुमार बेंगलुरु के कोचिंग कैंप में महीनों तक कड़ी मेहनत की है। बता दें निषाद कुमार ने 2019 में दुबई में वर्ल्ड पैरा ऐथलेटिक्स ग्रांड फ्री में 2.05 मीटर हाई जंप लगाकर गोल्ड मेडल जीता था।  और तोक्यो पैरालिंपिक का टिकट भी हासिल किया था।

ये जानकर आपको हैरत होगा कि फरवरी 2021 में वह साई बेंगलुरु कॉम्पलेक्स में कैंप के दौरान कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने न केवल महामारी को मात दी, बल्कि टोक्यो की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी। मुकाबले से पहले उनके गांव में उनके लिए लगातार दुआएं मांगी जा रही थी मेडल आने के साथ गांव में खुशियों की लहर है।

आपको बता दें पैरालंपिक खेलो की शुरुआत 1968 से हुई थी । भारत ने तब से लेकर अब तक इन खेलो में कुल 12 पदक हासिल किए हैं जिनमें चार गोल्ड, चार सिल्वर, और चार ब्राॅन्ज शामिल हैं।



पैरालंपिक खेलों में भारत का शानदार प्रदर्शन रहा है आइए नजर डालते हैं इसपर


जिद्द के आगे जीत है, इसे हमारे खिलाड़ियों ने अपने धुआँधार प्रदर्शन से साबित किया है। 



मुरलीकांत पेटकर (गोल्ड मेडल): यह भारत का पैरालंपिक खेलों में पहला मेडल रहा है।हीडलबर्ग, 1972 में आयोजित पैरालंपिक खेलो में,पेटकर ने मेंस की 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग इवेंट में 37.33 सेकंड में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर गोल्ड जीता था।


जोगिंदर सिंह बेदी (एक सिल्वर, दो ब्रॉन्ज मेडल): 1984 पैरालंपिक में जोगिंदर सिंह बेदी ने गोला फेंक इवेंट में सिल्वर, जबकि चक्का और भाला फेंक स्पर्धाओं में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। 


देवेंद्र झाझरिया (गोल्ड मेडल): झाझरिया ने एथेंस में 62.15 मीटर के थ्रो के साथ नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। पैरालंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर भारत में 20 साल तक रहा मेडल का सूखा खत्म किया था । 


राजिंदर सिंह राहेलू (ब्रॉन्ज मेडल):एथेंस, पैरालंपिक 2004 में राजिंदर सिंह राहेलू ने पावरलिफ्टिंग में पुरुषों के 56 किग्रा भार वर्ग में 157.5 किग्रा के प्रयास के साथ ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था।


गिरीशा नागराजेगौड़ा (सिल्वर मेडल): लंदन, पैरालंपिक 2012 में ,नागराजेगौड़ा ने पुरुषों की ऊंची कूद में 1.74 मीटर की कूद लगाकर सिल्वर मेडल जीता था। आपको बता दें वह इस इवेंट में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय थे।


देवेंद्र झाझरिया (गोल्ड मेडल):रियो, पैरालंपिक 2016में झाझरिया ने 63.97 मीटर भाला फेंककर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। 


मरियप्पन थंगावेलु (गोल्ड मेडल): रियो, पैरालंपिक 2016 में थंगावेलु ने रियो खेलों में ऊंची कूद इवेंट में 1.89 मीटर कूद लगाकर गोल्ड मेडल जीता। वह देश के तीसरे गोल्ड मेडलिस्ट पैरालंपियन बने थे। 


दीपा मलिक (सिल्वर मेडल):दीपा मलिक को कौन नहीं जानता, वह पैरालंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्होंने 2016 रियो खेलों में गोला फेंक में 4.61 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ सिल्वर मेडल हासिल किया था।


वरुण सिंह भाटी (ब्रॉन्ज मेडल): 2016 रियो खेलों में वरुण सिंह भाटी ने रियो खेलों में ऊंची कूद में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।


चैंपियंस ऐसी चीज़ से बने हैं जो उनके अंदर गहरी है। एक

इच्छा, एक सपना, एक दृष्टि

-मुहम्मद अली









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