
मुझे आशा है कि मैंने अपना काम किया है, अब यह आप पर निर्भर है मेरे युवा लोग।
-सालिम अली
हमारी प्रकृति ने हमें कितनी ही सुन्दर और अविश्वनीय चीज़ें भेंट की हैं जिनका वर्णन कई महान कवियों ने अपनी कविताओं द्वारा किया है। जैसा की प्रकृति प्रेमी महादेवी वर्मा कोयल के विषय में उसकी मधुर वाणी का वर्णन करते हुए लिखती हैं : दाल हिलाकर आम बुलाता तब कोयल आती है। नहीं चाहिए इसको तबला ,नहीं चाहिए हारमोनियम,छिप-छिपकर पत्तों में यह तो गीत नया जाती है !
आज के हमारे इस लेख में हम बात करने जा रहे हैं भारत के बर्डमैन की जो देश के प्रथम ऐसे पक्षी विज्ञानी थे जिन्होंने सम्पूर्ण भारत में व्यवस्थित रूप से पक्षियों का सर्वेक्षण किया।
विश्व प्रसिद्ध डॉ सालिम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली एक भारतीय पक्षी विज्ञानी ,वन्यजीव संरक्षणवादी , प्रकृतिवादी और लेखक थे जिन्होंने पक्षियों आधारित कई किताबें लिखी जो आज के समय में पक्षी विज्ञान के विकास में सहायक हैं और महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन पक्षियों और उनकी अलग - अलग प्रजातियों के अध्यन के लिए समर्पित किया। जिसके लिए उन्होंने कई जंगलों और अलग - अलग देशों का भ्रमण किया। उनके दिए योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें १९५८ में पद्मभूषण और १९७६ में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। इसके अलावा भी उन्हें कई उल्लेखनीय सम्मानों से अलंकृत किया जाए चूका है।
सालिम अली का जन्म आज १२ नवंबर १८९६ में हुआ था। उनके माता-पिता की मृत्यु के बाद उनके मामा ने सभी बच्चो की जिम्मेदारी उठाई। बाल सलीम के अंदर पक्षियों के प्रति जिज्ञासा उत्पन करने का प्रथम कार्य बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सचिव डब्ल्यू एस मिलार्ड ने किया था। सलीम पक्षियों के कितना निकट थे इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पक्षिओं को पकड़ने के लिए उन्होंने १०० से ज़्यादा ऐसे तरीके ईजाद किए जिनके माध्यम से आसानी से पक्षियों को बिना नुकसान पहुंचाए उन्हें पकड़ा जा सके।
उन्होंने अपने अध्ययन और अनुसंधानों पर कई लेख लिखे और असंख्यक लोगो तक अपने अनुभव और अध्यन को पहुँचाने का कार्य किया। एक प्रसिद्ध पक्षी शास्री के रूप में अपनी पहचान बनाई। एक लम्बे समय तक पक्षियों पर अध्ययन करने के बाद मिली जानकारी को उन्होंने समेत कर एक पुस्तक में लिखी जो १९४१ में प्रकाशित हुई जिसका नाम था "द बुक ऑफ़ इंडियन बर्ड्स" (The Book of Indian Birds) जो बहुत लोकप्रिय रही और आज भी इस छेत्र से जुड़े लोगो के लिए सहायक है। इसके बाद उन्होंने अपनी दूसरी किताब प्रस्तुत की हैंडबुक ऑफ द बर्ड्स ऑफ़ इंडिया एंड पकिस्तान (Hand book Of The Birds Of India And Pakistan) . अपनी जीवन से जुड़ी कई घटनाओं का वर्णन उन्होंने एक किताब लिखी जिसका नाम था 'द फॉल ऑफ़ ए स्पैरो' (The Fall of a Sparrow) हांलाकि उन्होंने कई लोकप्रिय और शैक्षिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से कुछ अभी भी प्रकाशित नहीं हुई हहम कह सकते हैं कि शायद सलीम अली जैसे महान पक्षी वैज्ञानिक का जन्म न हुआ होता तो आज पक्षियों के सन्दर्भ में जितनी जानकारियां उपलब्ध है नहीं होती। २७ जुलाई १९८७ को ९१ वर्ष की उम्र में डॉ सालिम अली का निधन हो गया। उनके मरणोपरांत बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा कोयम्बटूर के निकट अनैकट्ठी नमक स्थान पर सालिम अली पक्षीविज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र' की स्थापना की गयी है।
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