
जो भूमि देवताओं की परम पावन विरासत है,
जहां सत्यम शिवम सुंदरम और हर क्षण मुहूर्त है,
धर्म-कर्म, संस्कृति, सभ्यता व काव्य का मंदिर,
हमें जिस पर है गर्व वो भारत है।
-अनामिका अम्बर
किसी भी लेखक और उसकी लेखनी तब चर्चा का विषय बन जाती है जब लेखक द्वारा लिखा गया इस तरीके से लिखा या कहा गया हो की वो सीधे जाकर पढ़ने वाले या सुनने वाले के दिलो-दिमाग में छाप छोर दे। ऐसे ही लेखकों में चर्चित एक लेखिका हैं अनामिका अम्बर जी जो न सिर्फ उम्दा लिखती हैं बल्कि उतना ही बेहतरीन ढंग से उसकी प्रस्तुति भी करती हैं। आज के वक़्त में उनके लेखनी और प्रस्तुति के कई चाहने वाले हैं।अनामिका अम्बर उन लेखकों में शुमार हैं जिन्होंने बेहद कम उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था और मंचो व कार्यक्रमों में एक प्रसिद्ध बाल कलाकार के रूप में पहचान हासिल कर ली थी। आपको बता दें डॉ अनामिका अम्बर ने पहला काव्य पाठ 1997 में चौदह वर्ष की अल्पायु में पढ़ा था। उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय मंचो पर प्रस्तुति दी है और कई टीवी शोज का भी हिस्सा रहीं हैं।
कविशाला द्वारा आयोजित कविशाला संवाद में हिंदी मोहब्बत और शायरी विषय पर चर्चा करने के दौरान उन्होंने कई विशेष मुद्दों पर अपनी राय रखी और साथ ही अपनी रचनाओं की प्रस्तुति की।
मैम आपने इतनी छोटी सी उम्र से ही लिखना प्रारम्भ कर दिया ,क्या कोई विशेष कारण रहा लेखनी शुरू करने के पीछे ?
अनामिका अम्बर :मैंने ९ वर्ष की उम्र से लिखना शुरू कर दिया था। क्यूंकि मैं जैन धर्म से सम्बन्ध रखती हूँ तो हमारे यहाँ साधुओं का समागम होता था जो अपने परिवचनों में कविताओं का प्रयोग करते थे कहीं न कहीं वो एक प्रेरणा श्रोत रहा साथ ही मैं बुन्देलखंड से आती हूँ जो कलाकारों से, विशेष रूप से साहित्यकारों से उपजाऊ जमीन है ,वहां कई सम्मेल्लम हुआ करते थे जिसका खासा असर हुआ। हांलाकि मेरे परिवार में कोई भी कवि नहीं है तो इन्ही सम्मेलनों में जाना कविओं से मिलना एक प्रेरणा श्रोत रहा।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments