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Stories and Poetry from IAS OfficersArticle9 min read

मोटिवेशन तलाशें, बहाने नहीं। - डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी

Kavishala DeskKavishala Desk May 26, 2021
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[Stories and Poetry from the Room of IAS Officers]

“मुझे अभी भी याद है जब मैं पढ़ने बैठता था तो मेरी माँ, रेशमा जो कभी स्कूल नहीं गयीं, उन्हें अक्सर लगता था कि कहीं मैंने किताब उल्टी तो नहीं पकड़ी है। उनके लिए शिक्षा के दरवाजे कभी नहीं खुले थे पर उन्हें भरोसा था कि मेरी ज़िन्दगी ज़रूर बदल सकती है और बदली भी,”

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के धनासर गाँव में जब भी किसी कलेक्टर की गाड़ी गुजरती तो बच्चे यही चिल्लाते हुए उस गाड़ी के पीछे भागते। बच्चों को यूँ चिल्लाते देख, अक्सर एक किसान, मोहन लाल सोनी अपने बेटे, जितेंद्र को कहत“देख बेटा, एक दिन तू भी बनेगा, कलेक्टर।” डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी किसान के बेटे हैं। राजस्थान के हनुमानगढ़ के छोटे से गांव धन्नासर में मोहन लाल और रेशमा देवी सोनी के घर में 9 नवम्बर 1981 को जन्मे डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी भारत देश के उन चुनिंदा अफसरों में शामिल हैं जिनके दिमाग से उपजा हर आइडिया चर्चा का विषय बनता है। 'रास्ता खोलो अभियान' से पहले इन्होंने जालोर जिले में ​कलेक्टर रहते हुए नंगे पांव स्कूल जाते बच्चों के लिए चरण पादुका अभियान चलाकर 1,50,000 से अधिक छात्रों तक चरण पादुकाएं उपलब्ध करवाई थी!

समाज सेवा:

  • इसके अलावा IAS डॉ. सोनी को 2016 में जालोर में आई बाढ़ के दौरान 8 लोगों की जान बचाने के लिए उत्तम जीवन रक्षा पदक से भी नवाजा गया था। इन्हें सुशासन के लिए प्रौद्योगिकी के बेहतर इस्तेमाल के लिए भी जाना जाता है। दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान, पब्लिक पॉलिसी में एम.ए., बी.एस.सी, दर्शनशास्त्र में स्लेट, राजनीति विज्ञान में नेट-जे.आर.एफ., बी.एड, उर्दू में डिप्लोमा, सी.जी.एन.आर, राजनीति विज्ञान में पीएचडी की शिक्षा प्राप्त डॉ सोनी एक अच्छे काव्यकार भी हैं।
  • नागौर जिले कलेक्टर का यह नवाचार सिर्फ अति​क्रमण हटाकर रास्ता खोलने तक ही सीमित नहीं है बल्कि उस रास्ते का नामकरण भी अनूठे ढंग से किया जा रहा है। ताकि स्थानीय लोगों की भावनाएं उससे जुड़े सके। इसके लिए रास्ते का नाम उल्लेखनीय कार्य करने वाली बहू-बेटियों के नाम पर रखे जा रहे हैं। नागौर जिले मूंडवा जिले की कुचेरा ग्राम पंचायत में रास्ता खोलकर उसका नाम दसवीं कक्षा की टॉपर 'दिव्या शर्मा बिटिया गौरव' रखा गया। इसी तरह से किल्डोलिया मार्ग का नाम सुमन के नाम रखा है। रास्ते के नए नामकरण के साथ ही यहां पर पटिटका लगाकर उस पर रास्ते का विवरण लिखा हुआ है।
  • रास्ता खोलो अभियान' - डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने यह अभियान शुरू किया गया। नागौर जिला प्रशासन की टीम पंचायत समिति, ग्राम पंचायत व संबंधित थाना पुलिस के साथ मिलकर रास्ते खुलवाए। अब तक करीब 38 गांव-ढाणियों से रास्ते खुलवाए जा चुके हैं।
  • ई-ज्ञानकेंद्र: इस पहल को प्रधानमंत्री की खास 66 पहल की लिस्ट में जगह मिली है। इसके अंतर्गत, उन्होंने जिले के एक शहर में फ्री वाई-फाई फैसिलिटी शुरू की। लेकिन युवा बच्चे इस सुविधा का गलत इस्तेमाल न करें इसलिए उन्होंने ई-ज्ञानकेंद्र के नाम से एक वाई-फाई हॉटस्पॉट बनाया। क्लिक कीजिये और पासवर्ड डालिए (जो सभी के लिए उपलब्ध है), आप कक्षा 6 से लेकर कक्षा 10 तक का एजुकेशनल कंटेंट वीडियो फॉर्म में डाउनलोड कर सकते हैं। ये कंटेंट टेक्स्टबुक और अन्य ऑनलाइन एजुकेशनल वेबसाइट से मदद लेकर तैयार किया गया है ताकि बेहतर तरीके से बच्चों की मदद हो। यह कंटेंट सभी बच्चे मुफ्त में डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं।
  • विद्याप्रवाहिनी: साल 2011 में उन्हें प्रोबेशनरी अफसर के तौर पर राजस्थान के पाली में पोस्टिंग मिली और यहां पर उन्होंने अपना पहला सोशल वेलफेयर प्रोजेक्ट- स्कूल-ऑन-व्हील्स शुरू किया। इसे उन्होंने ‘विद्याप्रवाहिनी’ नाम दिया- इसके अंतर्गत बसों में प्रोजेक्टर्स लगाये गए, जिन पर एजुकेशनल ऑडियो और वीडियो कंटेंट चलाया जाता है।

प्रकाशित रचनाएं: रेगमाल, उम्मीदों के चिराग [ काव्य संग्रह ], रणखार [ राजस्थानी काव्य संग्रह ], यादावरी [डायरी], एडियोस

संपादन: शब्दों की सीप [शिक्षा विभाग हेतु काव्य संग्रह ],कविता परस्पर

अनुवाद: म्हारी पांती रा पाना [ हरिभजन सिंह रेणु के पंजाबी काव्य संग्रह का राजस्थानी अनुवाद ], निर्वाण [ मनमोहन सिंह के पंजाबी उपन्यास का हिंदी अनुवाद], देहरा मांय आज ई उगै है आपणा रूंख [रस्किन बॉंड के अंग्रेज़ी कहानी संग्रह का राजस्थानी अनुवाद ]

उनको उनके प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत से सम्मानों से नवाज़ा गया है। उन्होंने राज्य स्तर पर सर्वश्रेष्ठ कलेक्टर के साथ साथ नरेगा प्रशासन अधिकारी का भी पुरस्कार जीता । उन्हें चरण पादुका और अन्य पहलों के लिए गवर्नेंस में प्रतिष्ठित कलाम इनोवेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। साहित्य के लिए राजस्थानी काव्य संग्रह ‘रणखार’ के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार! हाल ही में उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर जी-फाइल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया, जो प्रशासन में असाधारण उपलब्धियों के लिए सिविल अफसरों को दिया जाता है।उनकी कुछ कविताएं:

[शंखनाद - जितेन्द्र सोनी]

काली दानव सी

चिमनियों में

पसीने,

रात की शराब के भभके,

मशीनी घर्षण की दुर्गन्ध

के बीच

तंग मटीले घरों से आए

अधभूखे अधसोए

काम करते

सहमे मजदूरों का

बचाखुचा खून

तिजोरियों में

जमा होता रहता है

और एक दिन

ऐसे में ही

कोई मजदूर

शोषण भट्टी में

खौलते खून से

कर देता है

प्रतिकार का शंखनाद

एक नई दुनिया के लिए !!


[हौसला - जितेन्द्र सोनी]

कुचले, मसले, पराजित तो

बहुतेरे विकल्प हैं आपके पास

निराशा, भड़ास, लांछन, निंदा

या फिर से हौसला

मुश्किल है सबसे ज्यादा

दुबारा खड़ा होना हौसले से

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