मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूँ, सिकंदर हूँ मगर हारा हुआ हूँ - डॉ हरिओम
May 25, 2021[Stories and Poetry from the Room of IAS Officers]
मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूँ, सिकंदर हूँ मगर हारा हुआ हूँ!
डॉ हरिओम ने तो इलाहाबाद में ही आईएएस बनने का सपना देख लिया था! तैयारी के आखिरी वर्ष 1997 में उनका आईएएस में सेलेक्शन हो गया। उसके बाद भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और हिंदी में ही पीएचडी भी कर डाली। वहीँ जेएनयू में उनकी लाइफ पार्टनर मालविका बनीं, जो उनकी क्लासमेट थीं। पिछले कुछ वर्षो से वो तमाम जिलो के डीएम ही नहीं रहे हैं, बल्कि कवि-कथाकार, ग़ज़ल गायक के रूप में भी देश-दुनिया में मशहूर हैं। उन्हें देश-विदेश के तमाम प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
डॉ हरिओम कहते हैं "एक डीएम के नाते जो आपका फर्ज होता है, जब हालात तनावपूर्ण होते हैं तो करना पड़ता है. मैं अपनी जिम्मेदारी निभा रहा था. हमारा तो काम ही शांति व्यवस्था बनाए रखना है. इट्स अ पार्ट ऑफ ड्यूटी. हमारे जैसे लोग जहां भी होंगे, अपना फर्ज निभाएंगे..."
साहित्य और कविताओं के साथ गाने की ललक उन्हें बचपन से ही थी! लल्लनटॉप के साथ एक बातचीत में डॉ हरिओम बताते हैं कि तब जो गांव में लोक संगीत सुनने को मिलता था. नाटक-नौटंकी, कव्वाली होती थी. मंदिरों में भजन-कीर्तन होता था. इन सबमें उन्हें संगीत बहुत सही लगता था. तो शुरुआत यहीं से हो गई थी. फिल्मी गाने गुनगुनाते रहते थे. फिर जैसा हर मोहल्ले में होता है कि जो बच्चा नाचने-गाने में अच्छा हो, उसे उसका टैलंट दिखाने के लिए लोग पकड़-पकड़कर ले जाते थे. वैसा ही हरिओम के साथ होता था. गांव के लोग उन्हें गाने के लिए ले जाते थे. खैर ये बात आजके जमाने के लोग नहीं समझ पाएंगे. फोन से फुर्सत कहां है किसी को. मगर पहले तो ऐसे ही एंटरटेनमेंट होता था. बाकी हरिओम का जलवा स्कूल में भी टाइट था. 26 जनवरी हो या 15 अगस्त. एक गाना उनका तो होता ही था.
उनके ‘धूप का परचम’ और ‘ख़्वाबों की हँसी’ दो ग़ज़ल संग्रह, ‘अमरीका मेरी जान’ नाम से एक कहानी संग्रह और ‘कपास के अगले मौसम में’ कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनका एक और कहानी संग्रह है ‘तितलियों का शोर’। हाल ही में प्रकाशित हुयी उनकी किताब 'कैलाश मानसरोवर यात्रा' को पाठको सराहा! साथ ही अब तक श्रेया घोषाल, कैलाश खेर जैसे बड़े बॉलीवुड कलाकारों के साथ मंच साझा कर चुके हैं। नीदरलैंड, लन्दन,, दुबई आदि में अनेक लाइव म्यूजिक कार्यक्रम अटेंड कर चुके हैं। उनको अपनी साहित्यिक-सांस्कृतिक उपलब्धियों के लिए फ़िराक़ सम्मान, राजभाषा अवार्ड, तुलसी श्री सम्मान, अंतरराष्ट्रीय वातायन पुरस्कार (लन्दन), कुवैत हिंदी-उर्दू सोसायटी की ओर से ‘साहित्य श्री’ अवार्ड मिल चुका है। पढ़िए उनकी कुछ कविताएँ:
[अब तुम नहीं हो - डॉ. हरिओम]
अब तुम नहीं हो
हमारे इतिहास में
बहुत कुछ नहीं था
एक पल था वो
जब मैं तुम्हें देख रहा था
तुम चाँद को
चाँद सूरज को
और सूरज जाने किसे देख रहा था
एक पल था वो
जब मैं तुममें खोया था
तुम तारों में
तारे आसमान में
और आसमान जाने कहाँ खोया था
एक पल था वो
जब मैं तुम्हारी आँखों में उलझा था
तुम बातों में
बातें नीम सर्द हवा में
और हवा जाने कहाँ उलझी थी
हमारे इतिहास का एक दौर
वह भी था
जब मेरी दुनिया में
सिर्फ़ तुम थीतुम्हारी बातें थीं
चाँद-तारे, सूरज और आसमान थे
या फिर थी नीम सर्द हवा
और अब कितना कुछ है
सब तरफ़
मेरी सुबहों और शामों में उलझी
एक पूरी दुनिया है
जिसकी अपनी बेशुमार उलझनें हैं&nb
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