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Stories and Poetry from IAS OfficersArticle5 min read

जिंदगी कई बार नए रास्ते आपके लिए अचानक खोल देती है - नीतीश्वर कुमार

Kavishala DeskKavishala Desk June 2, 2021
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[Stories and Poetry from the Room of IAS Officers]


जिंदगी कई बार नए रास्ते आपके लिए अचानक खोल देती है। ऐसा लगता है कि उस रास्ते पर आपकी यात्रा पहले से नियत थी। ऐसा क्यों होता है इस पर मतों में भिन्नता हो सकती है। लेकिन यह जब जिसके साथ होता है उसे इसे समझने में थोड़ा वक्त लगता है।


होश आती है तेरे आग़ोश में, शाम ढलती है तेरे ज़रदोज़ में, खिलखिलाती तबस्सुम तू जाम है,


'उडने को उङ जाये नभ में, पर छोडे. नहीं जमीन कलम” की वैचारिक प्रतिबद्धता वाले अप्रतिम गीतकार कविवर गोपाल सिंह “नेपाली” की धरती बेतिया, जो बिहार के उत्तरी छोर पर अवस्थित है, वहीं नीतीश्वर कुमार का जन्म हुआ, वहीं की माटी ने उन्हें प्रगतिशील चेतना और दृढ् इच्छा-शाक्ति के साथ-साथ वह सुकोमल मन भी दिया!


कवि, कहानीकार, गीतकार और गायकी, नीतीश्वर कुमार की रचनात्मकता के कई प्रतिबिम्ब आपको दिखेंगे। 1967 में बिहार के उत्तरी छोर पर एक छोटे से शहर बेतिया में उनका जन्म हुआ. गीत संगीत में रूचि बचपन से ही थी और किताबों की दुनिया के साथ साथ ये दुनिया भी चलती रही। ग्रेजुएशन और पोस्ट- ग्रेजुएशन करने दिल्ली आये. अर्थशास्त्र विषय चुना लेकिन कविता और संगीत में जीवन का अर्थ हमेशा तलाशते रहे। 1996 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुने गए और एक क्षमतावान अधिकारी के तौर पर अपनी पहचान बनाई. कहीं भी रहे हों कविता, गीत संगीत का एक नया दौर, एक सिलसिला चलता रहा. स्वयं भी मानते हैं कि आईएएस बनना तो मेहनत, सही रणनीति और संयोग से संभव है लेकिन कविता तो बस, बरबस ही फूटती है। उनकी रचनाओं में आपको कविता का ये रूहानी रूप जगह जगह दिखेगा। कवि और प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ साथ नीतीश्वर कुमार अपनी ज़मीन, अपने परिवार से भी बहुत गहराई से जुड़े हैं। उनकी रचनाओं के पहले पाठक और श्रोता उनकी पत्नी और पुत्र- पुत्री ही हैं। इन्हें नीतीश्वर कुमार अपना सबसे बड़ा आलोचक और सबसे बड़ी ताक़त मानते हैं। इन दिनों नीतीश्वर कुमार अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रहते हैं।


उनकी कुछ पंक्तियाँ:


लिखो की तुम हो हमारी तमन्ना,

चिपका लबों पर तुम्हारा ही पन्ना,

जिगर फेंकता है निगाहों से मरहम,

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