
८५ से अधिक पुस्तकों की रचनाकार हिंदी, भोजपुरी साहित्य के पुरोधा डॉ. विवेकी राय ललित निबंध, कथा साहित्य और कविता कर्म में समभ्यस्त हैं। गाँव की माटी की सोंधी महक उनकी श्रेष्ठम रचना रही। ललित निबन्ध विधा में इनकी गिनती आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, विद्यानिवास मिश्र और कुबेरनाथ राय की परम्परा में की जाती है।आज भी ‘कविजी’ उपनाम से जाना जाता है। सन 1945 ई. में डॉ. विवेकी राय की प्रथम कहानी ‘पाकिस्तानी’ दैनिक ‘आज’ में प्रकाशित हुई थी जिसके बाद उनहोंने कई विधाओं में लेखन कार्य किया जो सफल भी रहीं। कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, समीक्षा, सम्पादन एवं पत्रकारिता आदि विविध विधाओं से जुड़े रहे थे। उनकी ५० प्रकाशित पुस्तकों के साथ लगभग १० प्रकाशनाधीन पुस्तकें भी गणित हैं। विशेष रूप से उन्होंने ग्रामीण जीवन को अपनी रचनाओं का आधार बनाया इतना ही नहीं स्वयं भी कॉलेज़ में प्रवक्ता होने के साथ-साथ अपने गाँव के किसान बने रहे थे। ग्रामीण जीवन जीते हुए उन्होंने गांव से सम्बंधित हर इकाई पर विवेकान किया और अपने अनुभवों को लेखन में उतारा। एक नदी 'मंगई' के सन्दर्भ के एक लेख में उन्होंने कुछ यूँ लिखा है :
अब वे दिन सपने हुए हैं कि जब सुबह पहर दिन चढे तक किनारे पर बैठ निश्चिंत भाव से घरों की औरतें मोटी मोटी दातून करती और गाँव भर की बातें करती। उनसे कभी कभी हूं-टूं होते होते गरजा गरजी, गोत्रोच्चार और फिर उघटा-पुरान होने लगता। नदी तीर की राजनीति, गाँव की राजनीति। लडकियां घर के सारे बर्तन-भांडे कपार पर लादकर लातीं और रच-रचकर माँजती। उनका तेलउंस करिखा पानी में तैरता रहता। काम से अधिक कचहरी । छन भर का काम, पहर-भर में। कैसा मयगर मंगई नदी का यह छोटा तट है, जो आता है, वो इस तट से सट जाता है।
विवेकी राय का जन्म १९ नवम्बर सन १९२४ में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के भरौली ग्राम में हुआ था, जो उनका ननिहाल था। उनके जन्म के डेढ़ महीना पहले ही उनके पिता शिवपाल राय की प्लेग की महामारी से मृत्यु हो गई थी। विवेकी राय 7वीं कक्षा लिखना शुरू कर दिया था।
हिन्दी साहित्य में दिए योगदान के लिए उन्हें कई प्रमुख सम्मानों से अलंकृत किया जा चूका है। २००१ में उन्हें महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार एवं २००६ में यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया इसके साथ-साथ उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महात्मा गांधी सम्मान से भी पुरस्कृत किया जा चूका है। १९९४ में बिहार सरकार द्वारा - आचार्य शिवपूजन सहाय सम्मान; ‘आचार्य शिवपूजन सहाय’ पुरस्कार, १९९७ में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा - ‘शरद चन्द जोशी आदि।
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