
UPSC ताकि समस्याओं का समाधान आसानी से कर सकें - रवि कुमार सिहाग

खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़,
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
[रामधारी सिंह दिनकर]
UPSC परीक्षा में सफलता की जब भी बात होती है तो कैंडिडेट्स अक्सर कई तरह के सवाल उठाते हैं और कई विषयों को लेकर चिंतित दिखते हैं. जैसे उनका बैकग्राउंड हंबल है, उनका एजुकेशनल रिकॉर्ड ठीक नहीं, उनके पढ़ाई का माध्यम हिंदी है वगैरह वगैरह. रवि कुमार सिहाग ये सब और ऐसे बहुत से प्रश्नों का एक बेहतरीन जवाब हैं. उन्होंने एक बहुत ही साधारण किसान परिवार से और हिंदी मीडियम का स्टूडेंट होने के बावजूद अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की. रवि को देखकर साफ पता चलता है कि एक एवरेज स्टूडेंट जिसकी स्कूलिंग बहुत ही साधारण जगह से हुई हो या जिसके परिवार में कोई इस फील्ड में न रहा हो, वह भी अगर ठान ले और मेहनत करे तो सफल हो सकता है.
रवि सिहाग अपने पिता के साथ बचपन से ही खेती-किसानी का काम देखते थे. बीए तक उन्होंने खेती से जुड़े हर काम की जिम्मेदारी संभाली है. ऐसे में जब गांव में खेतों को लेकर, सिंचाई को लेकर या इससे संबंधित किसी भी एरिया में समस्या आती थी तो कहा जाता था कलेक्ट्रेट ऑफिस जाओ. हर परेशानी का समाधान वहीं होता था. तब से वे सोचते थे कि आखिर कलेक्टर होता कौन है जिसके पास हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान होता है. इसके अलावा गांव में अक्सर लोग कहते थे कि तुम कौन सा कलेक्टर हो जो ये काम कर लोगे, ये परेशानी दूर कर दोगे वगैरह. ऐसी बातें सुनकर ही रवि का इस क्षेत्र के प्रति आकर्षण पैदा हुआ. तभी बीए के बाद उन्होंने इस क्षेत्र में किस्मत आजमाने का फैसला किया ताकि लोगों की समस्या का समाधान आसानी से कर सकें.
आज इससे अच्छी बात क्या हो सकती है की इतनी भाषाओ और विषयों के बीच रवि ने हिंदी माध्यम से तैयारी करते हुए परीक्षा दी और 18वीं रैंक भी प्राप्त की! इससे पहले हिंदी माध्यम से तैयारी करते हुए निशांत जैन ने 13वीं रैंक हासिल की थी जो अपने आप में एक बड़ा रिकार्ड हैं!
हर तलबगार को मेहनत का सिला मिलता है
बुत हैं क्या चीज़ कि ढूँढे से ख़ुदा मिलता है
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