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जिनगी के एक लहर बीत गइल
हार गइल घोर अंधकार, किरन जीत गइल।
बदल गइल रंग, आज रंग असमान के,
निखर गइल रूप, रूप साँझ के, बिहान के,
सिहर गइल तार, हर सितार का बितान के,
आग भइल चिनगी से, साध जुगल जिनगी के
बिखर गइल हर सपना, अधरन से गीत गइल। जिनगी....
बदल गइल परिभाषा आज शूल-फूल के,
रूप आसमान चढ़ल बाग का बबूल के,
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