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करवा चौथ पर हास्य कविताएं

Kavishala DailyKavishala Daily October 24, 2021
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वैसे तो हम सब जानते हैं कि आज करवा चौथ है और नेट पर आपको अलग-अलग तरह की पूजा की विधियां, गीत और करवा चौथ के बारे में जानकारी उपलब्ध है। परंतु, यह करवा चौथ पति-पत्नी के नोकझोंक वाले रिश्ते को दर्शाता है। कभी पति की बात मानी जाती है, तो कभी पत्नी की। कभी पत्नी के नखरे उठाए जाते हैं, पति की बैंड बजाई जाती है। यह दृश्य उनकी नोकझोंक का एक अलग ही प्रेम भाव दर्शाता है। उसी प्रेमभाव को, उसी नोकझोंक को, हम कुछ हास्य कविताओं के जरिए आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। आशा है कि आपको भी इन कविताओं को पढ़कर हास्य रस का बोध होगा। 

हमारी तरफ से करवा चौथ की आप सबको शुभकामनाएं !

कविताएं निम्नलिखित है :-

(i) "लो आया करवाचौथ"

मेरी बीवी ने की करवा चौथ

मैं बोला, 'बॉस, छुट्टी चाहिए।' 

सुनते ही भड़क उठे, 'क्यों? क्या करना है?' 

मैंने कहा, 'बॉस, कल करवा चौथ है और 

मेरी पत्नी को मेरी लम्बी उम्र के लिए व्रत रखना है।'  

सुन कर बॉस बोले,'तो इसमें तुम्हें क्या करना है?' 

मैं बोला, 'बॉस मेरे बगैर वह व्रत नहीं रख पाएगी घर-परिवार और बच्चे कैसे संभाल पाएगी?  

यह सब तो कल मुझे ही करना पड़ेगा 

इसीलिए छुट्टी ले कर घर पर ही रहना पड़ेगा। 

कल वो किसी काम को हाथ भी न लगाएगी 

भूखी-प्यासी आखिर बेचारी कर भी क्या पाएगी? 

साल में एक ही दिन तो यह त्योहार आता है 

जब हर पत्नी को संपूर्ण सत्ता का स्वाद आता है।' 

बॉस कड़के, 'तो ना रखे व्रत, 

पत्नी व्रत नहीं रखेगी तो 

क्या तुम जल्दी मर जाओगे 

लम्बी उम्र नहीं पाओगे?'  

मैं गिड़गिड़ाया, 'मरूँगा नहीं सर, 

मगर सचमुच मर जाऊँगा, 

जी नहीं पाऊँगा वह भी आप ही की तरह कड़क है, 

रूठ जाएगी मुझे छोड़ कर हमेशा को चली जाएगी 

आप नहीं जानते हैं सर, 

बड़ी मुश्किल से एक हाथ लगी है, 

वह भी निकल जाएगी।

— राजीव श्रीवास्तव

व्याख्या : कवि कहता है कि एक आदमी अपने बॉस से करवा चौथ पर छुट्टी की मांग करता है। जिस पर बॉस नाराज होकर कहता है- 'कि तुम्हें थोड़ी न वर्त रखना है, तो तुम छुट्टी लेकर क्या करोगे? मगर पति बताता है कि- 'पत्नी भूखी प्यासी घर कैसे संभाल पाएगी? मेरे बिना वह बच्चे कैसे देख पाएगी? एक ही तो दिन आता है, जब उसे वह पूरी सत्ता का मजा लेती है।' तो बॉस ने बोला- - 'नहीं रखेगी तो क्या तुम मर जाओगे? लंबी उम्र नहीं पाओगे?' आदमी सचमुच गिड़गिड़ा कर कहता है कि- 'सर वह आप ही की तरह कड़क है, मुझसे रूठ कर मुझे छोड़ कर चली जाएगी और मेरी शामत आ जाएगी।'

(ii) "करवाचौथ और चांद"

एक सुबह जब आँख खुली तो मेरे उड़ गये होश ,

मेरे बीवी खड़ी सामने आँखों में भर के जोश !

बोली मिस्टर कैसे हो और कैसी कटी है आपकी रात ,

ना जाने क्यों कर रही थे मिश्री से मीठी बात !

मैंने पूछा ओ डियर आज मैं तुमको क्यो भाया ,

पलकें झुकए बड़ी शर्म से बोली करवाचौथ है आया !

ये सुन कर मेरे शरीर मैं दौड़ उठा करेंट ,

समझ गया था मेरे नाम का निकल चुका वारेंट!

इस दिन का इंतजार हर शौहर को है रहता ,

बड़ी अदब से बात मनती मैं जैसा-जैसा कहता !

पूरा साल बीत गया था सुन -सुन के ताने ,

आज कहे हर बात पे हाँ , ये मेरी ही माने !

मुझे कभी परमेश्वर कहती कभी कहे देव ,

खुद तो व्रत रखती पर मुझको देती सेब !

शाम होते होते फिर वो घड़ी है आती , 

गिफ्ट गिफ्ट का राग आलापे बाज़ार ले जाती !

अहसानों के बोझ तले दब मुझ को आए रोना ,

नहीं चाहते हुए भी लेना पड़े है महँगा सोना !

देर रत जब चाँद ना निकले ये चाँद-चाँद चिल्लाए ,

कभी भेजे नुक्कड़ पे मुझको कभी छत पे दौड़ाए !

मैं भी जब दौड़- दौड़ के हो जाता परेशान ,

हाथ जोड़ कर चाँद से बोलूं अब बात इसकी मान !

आज तुम्हारा दिन है इसलिए खा रहे भाव ,

कल से कौन पूछेगा तुम को जब आओ जब जाव !

इतनी से बात क्यों मैडम के समझ ना आती ,

जो साल भर प्यार जताती तो बात बन जाती !

— डॉक्टर राजीव श्रीवास्तव

व्याख्या : कवि बताते हैं कि वैसे तो साल भर पतियों को ताने मारे जाते हैं, बात नहीं मानी जाती, और सिर्फ एक ही वह करवा चौथ का दिन आता है। जब पति को परमेश्वर की तरह पूजा जाता है। उसकी हर बात मानी जाती है। उसकी सेवा की जाती है। लेकिन दोपहर होते-होते उस दिन भी उसको तोहफे के नाम पर महंगा सोना देना पड़ता है और जब चांद ना आए तो कभी नुक्कड़ पर, तो कभी छत पर दौड़ाया जाता है और पति थक हार के चांद को बोलता है- 'मेरी ना तो इसी की मान ले। जल्दी से आजा। आज तो तुझे पूछ रहे हैं। कल को मेरी तरह, तेरे को भी कोई नहीं पूछने वाला। अब मेरी मैडम जी को कौन समझाए एक दिन तुम इतना प्यार जताती हो तो इतना कुछ ले लेती हो। साल भर प्यार जताती तो बात ही बन जाती।

(iii) "करवाचौथ की तैयारी"

शादी कर कर हमने अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारी ,

हम पर भारी पड़ गई देखो हमारी नारी ,

मैडम कर रही है फिर से करवाचौथ की तैयारी ,

फरमाइशों की लिस्ट तैयार है सारी ,

एक बार फिर से हमको मस्का लगाया जायेगा ,

जानू - जानू कहकर फिर से बुलाया जायेगा ,

पुरे साल हमको उल्लू बनाया जाता है,

एक दिन हमको पतिदेव बुलाया जाता है ,

चार बजे सुबह उठकर पुरे दिन का ठूस लेती है ,

इस तरह वो देवियाँ उपवास कर लेती है ,

हमसे ज्यादा उस दिन चाँद की तलाश रहती है ,

भोजन ठूस लेने की हर पल आस रहती है ,

शायद किसी नारी ने ही ये करवाचौथ बनाया था ,

अपने पति के प्राणों को वश में करके दिखाया था ,

364 दिन वो अपने पति को जीने ना देती थी ,

एक दिन के इस व्रत से उसे मरने भी न देती थी ,

सदियों से यहीं परम्परा चली आ रही है भाई ,

करवाचौथ का व्रत करके मरने भी नहीं देती लुगाई ,

खैर यह सब तो एक हंसी ठिठौला है ,

पति -पत्नी का रिश्ता एकदम मस्त -मौला है,

करवाचौथ का यह त्यौहार उनके रिश्ते मजबूत बनाता है ,

एक -दूजे की अहमियत एक -दूजे को बताता है,

अब आप कहेंगे हास्य में ये गम्भीरता जरुरी नहीं थी यार ,

पर क्या करे करना पड़ता है क्योकि हम भी शादीशुदा है यार।

— सविता कौशल

व्याख्या : कवि बता रहा है कि उसकी पत्नी ने करवाचौथ की तैयारियां शुरू कर दी है और एक बहुत लंबी लिस्ट बनाई है अपनी फरमाइशों की और उसे प्यार से मस्का लगा रही है। पूरे साल हम को उल्लू बनाती है और एक दिन उनको पतिदेव बुलाती है। सुबह सुबह उठकर पेट पूजा कर सारा दिन भूखी रहती है और हमको ही छोड़ चांद की तलाश करती है। यह करवा चौथ का भी व्रत किसी नारी नहीं बनाया होगा, पति को वश में करके दिखाया होगा। सदियों से यही परंपरा चली आ रही है कि, 364 दिन पत्नियां पति को चैन से जीने नहीं देती और एक दिन वह उसे व्रत रख कर चैन से मरने भी नहीं देती। यह सब तो हंसी ठीठोला है। पति-पत्नी का रिश्ता मस्त मौला है। करवा चौथ का त्यौहार पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है। एक दूजे की अहमियत जताता है।

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