वैसे तो हम सब जानते हैं कि आज करवा चौथ है और नेट पर आपको अलग-अलग तरह की पूजा की विधियां, गीत और करवा चौथ के बारे में जानकारी उपलब्ध है। परंतु, यह करवा चौथ पति-पत्नी के नोकझोंक वाले रिश्ते को दर्शाता है। कभी पति की बात मानी जाती है, तो कभी पत्नी की। कभी पत्नी के नखरे उठाए जाते हैं, पति की बैंड बजाई जाती है। यह दृश्य उनकी नोकझोंक का एक अलग ही प्रेम भाव दर्शाता है। उसी प्रेमभाव को, उसी नोकझोंक को, हम कुछ हास्य कविताओं के जरिए आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। आशा है कि आपको भी इन कविताओं को पढ़कर हास्य रस का बोध होगा।
हमारी तरफ से करवा चौथ की आप सबको शुभकामनाएं !
कविताएं निम्नलिखित है :-
(i) "लो आया करवाचौथ"
मेरी बीवी ने की करवा चौथ
मैं बोला, 'बॉस, छुट्टी चाहिए।'
सुनते ही भड़क उठे, 'क्यों? क्या करना है?'
मैंने कहा, 'बॉस, कल करवा चौथ है और
मेरी पत्नी को मेरी लम्बी उम्र के लिए व्रत रखना है।'
सुन कर बॉस बोले,'तो इसमें तुम्हें क्या करना है?'
मैं बोला, 'बॉस मेरे बगैर वह व्रत नहीं रख पाएगी घर-परिवार और बच्चे कैसे संभाल पाएगी?
यह सब तो कल मुझे ही करना पड़ेगा
इसीलिए छुट्टी ले कर घर पर ही रहना पड़ेगा।
कल वो किसी काम को हाथ भी न लगाएगी
भूखी-प्यासी आखिर बेचारी कर भी क्या पाएगी?
साल में एक ही दिन तो यह त्योहार आता है
जब हर पत्नी को संपूर्ण सत्ता का स्वाद आता है।'
बॉस कड़के, 'तो ना रखे व्रत,
पत्नी व्रत नहीं रखेगी तो
क्या तुम जल्दी मर जाओगे
लम्बी उम्र नहीं पाओगे?'
मैं गिड़गिड़ाया, 'मरूँगा नहीं सर,
मगर सचमुच मर जाऊँगा,
जी नहीं पाऊँगा वह भी आप ही की तरह कड़क है,
रूठ जाएगी मुझे छोड़ कर हमेशा को चली जाएगी
आप नहीं जानते हैं सर,
बड़ी मुश्किल से एक हाथ लगी है,
वह भी निकल जाएगी।
— राजीव श्रीवास्तव
व्याख्या : कवि कहता है कि एक आदमी अपने बॉस से करवा चौथ पर छुट्टी की मांग करता है। जिस पर बॉस नाराज होकर कहता है- 'कि तुम्हें थोड़ी न वर्त रखना है, तो तुम छुट्टी लेकर क्या करोगे? मगर पति बताता है कि- 'पत्नी भूखी प्यासी घर कैसे संभाल पाएगी? मेरे बिना वह बच्चे कैसे देख पाएगी? एक ही तो दिन आता है, जब उसे वह पूरी सत्ता का मजा लेती है।' तो बॉस ने बोला- - 'नहीं रखेगी तो क्या तुम मर जाओगे? लंबी उम्र नहीं पाओगे?' आदमी सचमुच गिड़गिड़ा कर कहता है कि- 'सर वह आप ही की तरह कड़क है, मुझसे रूठ कर मुझे छोड़ कर चली जाएगी और मेरी शामत आ जाएगी।'
(ii) "करवाचौथ और चांद"
एक सुबह जब आँख खुली तो मेरे उड़ गये होश ,
मेरे बीवी खड़ी सामने आँखों में भर के जोश !
बोली मिस्टर कैसे हो और कैसी कटी है आपकी रात ,
ना जाने क्यों कर रही थे मिश्री से मीठी बात !
मैंने पूछा ओ डियर आज मैं तुमको क्यो भाया ,
पलकें झुकए बड़ी शर्म से बोली करवाचौथ है आया !
ये सुन कर मेरे शरीर मैं दौड़ उठा करेंट ,
समझ गया था मेरे नाम का निकल चुका वारेंट!
इस दिन का इंतजार हर शौहर को है रहता ,
बड़ी अदब से बात मनती मैं जैसा-जैसा कहता !
पूरा साल बीत गया था सुन -सुन के ताने ,
आज कहे हर बात पे हाँ , ये मेरी ही माने !
मुझे कभी परमेश्वर कहती कभी कहे देव ,
<No posts
No posts
No posts
No posts
Comments