
पद्मश्री सम्मानित डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार जितेन्द्र उधमपुरी

पद्मश्री सम्मानित डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार जितेन्द्र उधमपुरी का जन्म आज के ही दिन १९४४ में हुआ था,जो जम्मू और कश्मीर के सबसे उत्तरी भारतीय राज्य में जम्मू के पास एक छोटे से शहर उधमपुर में स्थित है। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह इक 'शहर यादें दा' बहुत प्रचलित रही जिसके लिये उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा उधमपुर में पूर्ण की जिसके बाद आगे की पढाई के लिए वे जम्मू चले गए। जहाँ उन्होंने गवर्नमेंट गांधी मेमोरियल साइंस कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। हालांकि, अपनी मां की बीमारियों के चलते उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी किए बिना, छोटे बच्चों की देखभाल के लिए उधमपुर लौटना पड़ा। जितेंद्र उधमपुर का पढाई के प्रति कितना लगाव था ये इसी बात से पता लगाया जा सकता है कि भारतीय सेना में शामिल होने के साथ उन्होंने वहां अपनी बाधित पढ़ाई जारी रखी और इतिहास में मास्टर डिग्री और डोगरी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। एक ब्रॉडकास्टर के रूप में ऑल इंडिया रेडियो में कार्यगत रहे जहाँ एक निदेशक के रूप में लम्बे समय तक कार्य के बाद सेवानिवृत्ति हुए।
जीतेन्द्र की पहली उर्दू कविता 1962 प्रकाशित हुई जहाँ से उनके साहित्यिक करियर की शुरुआत हुई। उन्होंने उर्दू, हिंदी और डोगरी भाषाओं में लेखन कार्य किया है। जित्तो, दीवान-ए-गज़ल, दुग्गरनामा, गीत गंगा, थेहरा हुआ कोथरा, चान-नी, दे दो एक बसंत (हिंदी), एक शहर यादों दा, बंजारा, किश कलियां तेरे ना, जुदाईयां, पिंडे दी बारात, बस्ती- बस्ती, दिल दरिया खली-खली, फूल उदासी है (हिंदी), वो एक दिन (हिंदी), और दिल होया दरवेश (पंजाबी) उनकी कुछ उल्लेखनीय कृतियां हैं। इसके अलावा उन्होंने दो ग्रंथ भी प्रकाशित किए हैं, डोगरी साहित्य का इतिहास और डोगरा संस्कृति का इतिहास। उनकी कई पुस्तकों का अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, कश्मीरी, नेपाली और चेक जैसी अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
डोगरी साहित्य और संस्कृति के लिए उनकी उल्लेखनीय सेवा को राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मानों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। जिनमें जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी पुरस्कार जो उन्हें चार बार (1985, 86, 95 और 2004) मिला ,2000 में राष्ट्रीय हिंदी देवी सहस्राब्दी सम्मान, सुभद्रा कुमारी चौहान जनम शताब्दी सम्मान, राष्ट्रीय कारी पंडित शोहन लाल देवेदी सम्मान, 2004 में डोगरा साहित्य रतन सम्मान और साहित्य सम्मान शामिल हैं।
डॉ. उधमपुरी के निडर व्यक्तित्व को गरीबों, पीड़ितों और दलितों के लिए उनकी अटूट भक्ति से और भी अलंकृत किया जाता है। वर्ष 2010 में समाज में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए उन्हें विश्व रेड क्रॉस दिवस पर सोसायटी द्वारा सम्मानित किया गया था।
डॉ. उधमपुरी राज्य के गौरवशाली सपूत हैं, जिनकी रचनात्मक रचनाएँ वैश्विक दृष्टि की बात करती हैं। उन्होंने डोगरी और हिंदी साहित्य, छात्रवृत्ति और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में अपने उल्लेखनीय योगदान से राज्य और उसके लोगों को सम्मान दिलाया है।
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