
गाँधी जी जिन्हे राष्ट्रीय पिता के नाम से जाना जाता है उनसे तो कई लोग परभित हुए हैं लेकिन मगन भाई देसाई जैसा कोई ही प्रभित हुआ होगा उस समय मगन भाई देसाई मुंबई में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे कि 1921 में गांधी जी का भाषण सुनने के बाद वे इस तरह प्रभावित हुए के स्कूल छोड़ दिया। इसके बाद में गुजरात विद्यापीठ में गणित के अध्यापक और रजिस्ट्रार के रूप में काम करने लगे। मगन भाई देसाई स्पष्ट वादी व्यक्ति भी थे। अगर मगन भाई देसाई के बारे में और बात करें तो मगन भाई देसाई का जन्म 11 अक्टूबर 1899 में गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ था। 1932 के आंदोलन में मगन भाई देसाई को गिरफ्तार किया गया था। गांधी जी के कहने पर वे वर्धा के महिला महाविद्यालय के प्रभारी रहे। इसके बाद में लगभग 24 साल तक गुजरात विद्यापीठ की सेवा को समर्पित किए। 1957 में उन्हें गुजरात विश्वविद्यालय का उपकुलपति बनाया गया। मगन भाई देसाई का खादी, हिंदी, मद्यनिषेध, सर्वोदय, प्रौढ़ शिक्षा, स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास और गांधी वांङ्मय(प्रतिष्ठित ) आदि से संबंधित प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर की 30 से अधिक समितियों से संबंध था। उन्होंने अपने विश्वास और निर्भीकता से कभी समझौता नहीं किया। अपने उसूलों के पक्के मगन भाई देसाई एक अच्छे लेखक थे। उन्होंने गुजराती भाषा में कई मौलिक पुस्तकों की रचना कीऔर उपनिषदों पर भाष्य लिखे।
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