ऊं नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रैलोक्यपतये त्रैलोक्यनिधये
श्री महाविष्णुस्वरूप श्री धनवंतरी स्वरूप
श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय स्वाहा।
— धनवंतरि मंत्र
भगवान धन्वंतरि वैद्य आयुर्वेद के इतिहास में एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व हैं। वेद और पुराण दोनों में उन्हे देवताओं के चिकित्सक और एक उत्कृष्ट सर्जन कहा जाता है।
धन्वंतरि वैद्य की कथा :-
भगवान धन्वंतरि वैद्य को आयुर्वेद के पिता के रूप में जाना जाता है, क्योंकि वह मनुष्यों के बीच ज्ञान प्रदान करने वाले पहले दिव्य अवतार थे। पुराणों में दूध के सागर का मंथन एक प्रसिद्ध प्रसंग है जो मन की एकाग्रता, इंद्रियों की वापसी, सभी इच्छाओं पर नियंत्रण, तपस्या और तपस्या के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने के आध्यात्मिक प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है।
कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच में समुंद्र मंथन हो रहा था। तब, समुंद्र से माता लक्ष्मी, कामधेनु गाय, कल्प वृक्ष, आदि प्रकट हुए।
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