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होली की ठिठोली - दुष्यंत कुमार

Kavishala DailyKavishala Daily March 18, 2022
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दुष्यंत कुमार TO धर्मयुग संपादक:


पत्थर नहीं हैं आप तो पसीजिए हुज़ूर ।

संपादकी का हक़ तो अदा कीजिए हुज़ूर ।


अब ज़िंदगी के साथ ज़माना बदल गया,

पारिश्रमिक भी थोड़ा बदल दीजिए हुज़ूर ।


कल मयक़दे में चेक दिखाया था आपका,

वे हँस के बोले इससे ज़हर पीजिए हुज़ूर ।


शायर को सौ रुपए तो मिलें जब ग़ज़ल छपे,

हम ज़िन्दा रहें ऐसी जुगत कीजिए हुज़ूर ।


लो हक़ की बात की तो उखड़ने लगे हैं आप,

शी! होंठ सिल के बैठ गए ,लीजिए हुजूर ।


धर्मयुग सम्पादक (धर्मवीर

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