जो काम आपके सामने है,
उसे पूरी हिम्मत और लगन से करें ,
तो सफलता आपके पास जरूर आएगी।
— चंद्रशेखर वेंकट रमन
आज हम बात करने जा रहे हैं भारत के प्रसिद्ध फिजिसिस्ट, सी.वी. रमन के बारे में। जिन्होंने गुलाम भारत में जन्म लेने के बावजूद अपनी काबिलियत के दम पर न सिर्फ भारत में बल्कि, पूरी दुनिया में नाम कमाया। उनके द्वारा किया गया एक शोध - 'रमन इफेक्ट ' या 'रमन स्कैटरिंग ' आज दुनिया भर की विज्ञान की किताबों में मौजूद है। जिसके लिए 1930 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
सी.वी. रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के, तिरुचिरापल्ली में हुआ था। जो उस समय मद्रास प्रेसिडेंसी का था। उनका पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकट रमन था। उनके पिता विज्ञान के लेक्चरर थे। जिन्होंने बचपन से ही विज्ञान के बारे में बहुत कुछ बताया था। सी.वी. रमन जी बचपन से ही बड़े जिज्ञासु स्वभाव के थे। हमारे आस-पास जो भी चीजें होती हैं, वह कैसे होती हैं? और क्यों होती हैं? यह जानने की हमेशा उत्सुकता रहती थी। और यह जागरूकता उनके मन में बुढ़ापे में भी उतनी ही थी, जितनी कि बचपन में थी।
बचपन में उनके पिता उनके सवालों के जवाब देते थे और उन्हें ज्यादा से ज्यादा विज्ञान के बारे में बताते थे। यूं कह लीजिए, कि सी.वी. रमन (वैज्ञानिक) के पहले गुरु उनके पिता ही थे। जब वह कॉलेज में गए, तो उन्होंने कई तरह के शोध किए और रिसर्च पेपर लिखे। मगर वहां मौजूद अंग्रेज प्रोफेसर ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। उन्हें इस बात का एहसास होने लगा था, कि भारत के गुलाम होने की वजह से यहां पर किसी सामान्य इंडियन के द्वारा कोई रिसर्च करना या लोगों तक अपने शोध को पहुंचा पाना बहुत कठिन है। इसलिए वह सरकारी नौकरी में आने की कोशिश करने लगे। "फाइनेंशियल सिविल सर्विस एग्जाम " में उन्होंने पास कर लिया और सबसे कम उम्र के "असिस्टेंट अकाउंटेंट जनरल " बने। उसके बाद उन्होंने लोकसुंदरी अम्मल से 1960 में शादी कर ली। उनके दो लड़के थे - चंद्रशेखर और राधाकृष्णन।
उन्होंने नौकरी के साथ-साथ रिसर्च करना भी शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि बढ़ती गई और खेल कोटा यूनिवर्सिटी के
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