जैसे कि हम लोग दिवाली को एक दिन का त्यौहार नहीं, बल्कि पांच दिन का महाउत्सव बोलते हैं। जो कि, कार्तिक महीने की कृष्ण त्रयोदशी से शुरू होकर शुक्ल दूज तक चलता है।
पहला दिन धनतेरस का मनाया जाता है। दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन महा दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भैया दूज का त्यौहार मनाया जाता है। आज हम दूसरे दिन, नरक चतुर्दशी के बारे में बताना चाहते हैं।
नरक चतुर्दशी को रूप चौदस/काली चौदस भी कहते हैं। इस दिन यमराज जी, काली माता, शिव जी, हनुमान जी, वामन जी की पूजा करते हैं। यमराज जी की पूजा इसलिए की जाती है ताकि अकाल मृत्यु ना हो। काली माता की पूजा की जाती है ताकि हमारे जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाए। शिवजी की पूजा पार्वती माता को खुश करने के लिए करते हैं। हनुमान पूजा इसलिए करते हैं कि ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान जयंती भी होती है और संकट मोचन हनुमान हमारे सारे संकट को दूर कर दे। वामन जी की पूजा दक्षिण भारत में प्रचलित है। माना जाता है कि इस दिन राजा बली को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में हर साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था।
नरक चतुर्दशी की कथा :-
पौराणिक कथा के अनुसार, आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण, सत्यभामा और काली मां ने अत्याचारी और दुराचारी असुर नरकासुर का वध किया था और 16,100 कन्याओं को नरकासुर के बंदी ग्रह से मुक्त कराकर उन्हें सम्मान प्रदान किया था।
इस दिन एक और कथा भी है कि - रंति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments