
तब तक लड़ना मत छोड़ो जब तक अपनी तय की हुई जगह पर ना पहुँच जाओ- यही, अद्वितीय हो तुम। ज़िन्दगी में एक लक्ष्य रखो, लगातार ज्ञानप्राप्त करो, कड़ी मेहनत करो, और महान जीवन को प्राप्त करने के लिए दृढ रहो।
-ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
एक लेखक तब स्मरणीय हो जाता है जब उसकी लिखी रचना किसी मनुष्य के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाने का कारण बन जाए।आज एक ऐसे ही प्रेरक व्यक्तित्व जिन्होंने अपने अनुभवों को लिख कर लाखों के जीवन में बदलाव लाने का कार्य किया मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्मदिन है। कलाम साहब बचपन में पायलट बनना चाहते थे परंतु किन्हीं कारणों से नहीं बन पाए। ऋषिकेश जाकर नई उड़ान के बारे में सोचा और अपने करियर को अंतरिक्ष के क्षेत्र की ओर मोड़ लिया। डॉ कलाम का मानना था कि हमे असफलता से निराश नहीं होना चाहिए बल्कि किसी भी मनुष्य के लिए असफलता और शोक के बिच मिलने वाले प्रेरणा को ग्रहण करना आवशयक है।
बारिश के दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है, लेकिन बाज बादलों के ऊपर उड़कर बादलों को ही अवॉयड कर देते हैं। समस्याए कॉमन है, लेकिन आपका एटीट्यूड इनमे डिफरेंस पैदा करता हैं।
-ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम् जिले के धनुषकोड़ी गांव में हुआ था।अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पक्कीर जैनुलआबेदीन अब्दुल कलाम था। बात करें उनके बचपन की कलाम का बचपन आर्थिक अभावों में बीता। इनके पिता मछुआरों को बोट किराए पर देते थे। कलाम के पिता जैनुलआबेदीन भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे लेकिन उच्च सोच वाले व्यक्ति थे। कलाम ने अपनी आरम्भिक शिक्षा रामेश्वरम् में पूरी की, सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।
जीवन शैली :
बात करें कमाल साहब के जीवन शैली की तो वे बेहद सादगी भरा और अनुशाशनिक जीवन जीने में विश्वास रखते थे। अनुशासन और दैनिक रूप से पढ़ना इनकी दिनचर्या में था। उनका मन्ना था अगर आप किसी चीज़ को हासिल करना चाहतें हैं तो आपके लिए आवश्यक है अपनी तीव्र इक्षा रखना। इतने बड़े पद पर होने के बावजूद शानो-शौख़त से दूर रहते थे। यहाँ तक की जब एक बार राष्ट्रपति भवन में उनके परिजन रहने के लिए आए उनका स्वागत उन्होंने बहुत अच्छे से किया। परिजन 9 दिन तक राष्ट्रपति भवन में रहे जिसका खर्च साढ़े तीन लाख रुपए हुआ, जिसका बिल उन्होंने अपनी जेब से भरा।
कैसा रहा वैज्ञानिक जीवन :
विज्ञान मानवता के लिए एक खूबसूरत तोहफा है, हमें इसे बिगाड़ना नहीं चाहिए।
-ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
जैसे की लेख के प्रारम्भ में बताया गया है कि अब्दुल कलाम का सपना था ,वे पायलट बनना चाहते थे परंतु किन्हीं कारणों की वजह से वे पायलट नहीं बन पाए। जिसके बाद 1962 में वे अंतरिक्ष विभाग से जुड़ गए जहां उन्हें विक्रम साराभाई, सतीश धवन और ब्रह्म प्रकाश जैसे महान हस्तियों का सान्निध्य प्राप्त हुआ। कलम साहब ने 1980 में पूर्ण रूप से भारत में निर्मित उपग्रह रोहिणी का प्रक्षेपण किया जो सफल रहा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन में रहते हुए कलाम साहब ने पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइल का ऑपरेशनल किया और भारत के राजस्थान में हुए दूसरे परमाणु परीक्षण (शक्ति2) को सफल बनाया।
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