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एक संयोग 78 वर्ष और 78 पुस्तकें।

Kavishala DailyKavishala Daily October 28, 2021
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कलमकारों के लिए कलम सबसे बड़ा हथियार है और इसे सही समय पर जोड़ा जाए तो कलम वरदान बन जाती है। 

-प्रेम किशोर 'पटाखा' 


कोई कलाकार अपनी कला को किस तरीके से प्रस्तुत करे कि वो कलाकारों की श्रेष्ठ श्रेणी में विद्यमान हो जाए। चाहे उसकी कला किसी भी रूप में प्रस्तुत हो लिखित या मौखिक जरुरी है दर्शकों के दिल और दिमाग पर उसकी छाप छूट जाने की। आज एक ऐसे ही कलाकार का जन्मदिन है जो कहते हैं मेरी उम्र के साथ मेरी पुस्तकें जुड़ती गईं। वास्तव में ऐसा इसलिए क्यूंकि हास्य कलाकार प्रेम किशोर पटाखा जी आज ७८ वर्ष के हो गए हैं संयोग से उनकी ७८ पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। साहित्यिक मंच पर अपने हास्य से लोगो के बिच प्रसिद्ध प्रेम किशोर जी की पुस्तकें दर्जनों प्रकाशक द्वारा प्रकाशित की जा चुकी हैं। वह बॉलीवुड अभिनेता भारत भूषण के टेलीविजन कार्यक्रम में अतिथि के रूप में दिखाई दिए जा चुके हैं। 

सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार प्रेम किशोर पाठक का जन्म दिवाली के दिन १९४३ में उत्तरप्रदेश में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बतौर लेखक उन्होंने बाल साहित्य के लिए भी अपना विशेष योगदान दिया है।


अपने कार्य के लिए किशोर पटाखा को कई उल्लेखनीय सम्मानों जैसे ‘हास्य रत्न’, ‘शिखर श्री’ एवं ‘बाल सखा श्री’ से सम्मानित किया जा चूका है।

इसके साथ-साथ चित्रकला संगम नई दिल्ली की ओर से विशिष्ट सम्मान-2009से भी सम्मान प्राप्त है। 


हालही के दिनों में अपने नए अभियान जन-जन-मन गीता का ज्ञान को लेकर चर्चा में हैं । जहाँ पटाखा कहते हैं कि आज हर घर में अर्जुन पैदा हो जो समय और देश की बागडोर संभाले। हमारे त्योहार हमारे प्रेम की भाषा सिखाते है उसमें कुछ असमाजिक तत्व विष घोल देते है, कलमकार अपनी अहम भूमिका निभाये। उनका मानना है कि कलमकारों के लिए कलम सबसे बड़ा हथियार है और इसे सही समय पर जोड़ा जाये तो कलम वरदान बन जाती है। 


लेखन कार्य :

101 अमर कथाएँ 


हास्य लेखन :

रंगारंग हास्य कवि सम्मेलन

श्रेष्ठ हास्य व्यंग्य गीत 

व्यंग्य कथाओं का संसार

हास्य एवं व्यंग्यांग गजलें


प्रेम किशोर पटाखा की लोकप्रिय हास्य कविता रंगीन सपनो में खो जाइये आपके सामने प्रस्तुत है :


[रंगीन सपनों में खो जाइए]

कुछ होते हैं सपने रंगीन 

तो कुछ हसीन 

कुछ सपने देखते नहीं 

दिखाते हैं

सपनों ही सपनों में 

आपको झुलाते हैं। 


मंच पर आते ही वे 

फूल मालाओं से लद गए 

आगे-पीछे दाएं- बाएं 

चमचों से बंध गए 

चमचों ने आपको 

कंधों पर उठाकर 

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