Share0 Bookmarks 48138 Reads1 Likes
एक एक तिनका ज़ोर कर आशियाना बनाता हैं परिंदा |
इतना आसान कहां हैं इस जहां में रहना जिंदा ||
सच बोलों तो गर्दन पर लटका दिए जाते हैं फांसी का फंदा |
झूठो के शहर में भला कहां चलता है सच का धंधा ||
बोझ ढोते ढोते कहां तकता है किसानों का कंधा |
नेता खुद को रोक नहीं पाता फसल पर करना धंधा ||
कहीं कोई आ कर टकरा न जाए लैंप लें कर घर से निकलना है अंधा |
समय समय पर जाती धर्म के नाम पर नेता करवातें रहता है जगह जगह पर दंगा ||
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments