।। कस्तूरबा गाँधी ।।'s image
Poetry1 min read

।। कस्तूरबा गाँधी ।।

kavimay12345kavimay12345 June 20, 2022
Share0 Bookmarks 92 Reads0 Likes
बा अनपढ़ थी, पर
विमल शक्तियों की अनगढ़ मधुर कहानी थी
रुप विनोद,स्वतंत्र मन की कोमल कहानी थी
ससक्त संघर्ष सहज भाव की अतुल्य कहानी थी
धर्म कर्म भक्ति विविध की अमुल्य कहानी थी ।

रग- रग कस्तूरी जन- मन कस्तूरी
विजय विगुल का मन मस्तक कस्तूरी
बा तो कस्तूर बा थी,
तो क्यूँ ना कस्तूरी महके ?
मनुज दुखों मे सहज दिव्य ज्योति जलायी
हर बार विकल दीपों की बाती सुलगाई
वो बा ही थी जिन्होने बापू को महात्मा बनाई ।

वो निश्चल मन की तेज प्रवाह
परिवर्तन की प्रखर गवाह
वो कुण्ठित मन को पोषित करती
शोषण पर आवाज उठाती
ज्ञान विनय की वाणी कहती
मन से मन को जोड़े रहती
वो बा ही थी जो ऐसा करती............।










No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts