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सिलसिले मे कदम बढ़ता गया
कारवाँ गुजरता गया.....
मै होश मे था पर खामोश था
अंदर की आग मे जोश था
नैतिक पग का सन्दर्भ बनता गया
जीवन का प्रसंग बदलता गया ।
जो झूठ था वो झूठ ही है
जो सच था वो सच ही है
विश्वास से भरे हृदय को साथ मिलता गया
मूल्यों से कर्म का किताब भरता गया ।
स्याह नील,लाल हो या काली
लिखे वही जो सोखती हो मन की क
कारवाँ गुजरता गया.....
मै होश मे था पर खामोश था
अंदर की आग मे जोश था
नैतिक पग का सन्दर्भ बनता गया
जीवन का प्रसंग बदलता गया ।
जो झूठ था वो झूठ ही है
जो सच था वो सच ही है
विश्वास से भरे हृदय को साथ मिलता गया
मूल्यों से कर्म का किताब भरता गया ।
स्याह नील,लाल हो या काली
लिखे वही जो सोखती हो मन की क
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