ये  उलफत  रू-ब-रू होती's image
Share0 Bookmarks 45 Reads0 Likes
ये  उलफत  रू-ब-रू होती, वफाऐं  मैं  रचा लेता,
इश्क-ए-दौर की गलियाँ, मुखातिब हैं, नचा लेता।
मोहब्बत की गली में गर कदम का शोर भी होता, 
जो  टूटे  हैं   कई आशिक, इन्हें भी   मैं बचा लेता।।

                                    - © अनुराग तिवारी

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts