
मुकम्मल तो न सही,
फटेहाल कह सकते हो।
इन दिनों याद आती है तुम्हारी,
तुम नहीं तो क्या,
मेरा हाल कह सकते हो।
मुकम्मल तो न सही,
फटेहाल कह सकते हो।
ओरो ने लिखें है गीत गजल,
बाते उनकी है पर,
मेरा हाल कह सकते हो।
मुकम्मल तो न सही ,
फटेहाल कह सकते हो।
तुमने आजकल याद करना जो छोड़ दिया,
तुम भूल गए तो मेरा हाल कह सकते हो।
मोहब्बत मुकम्मल तो नही,
फटेहाल कह सकते हो।
लोग पूछते है चांदनी रात के बारे में,
चमकता चांद कहो या दागदार कह सकते हो।
महफिल आपकी है साहब,
अपना मलाल कह सकते हो।
क्यों लगाते हो मखन की तरह बातों को,
मुझे फटेहाल कह सकते हो।
आजकल आते हो मेरे शहर में,
मिलना तो न सही फिर भी बेकरार कह सकते हो।
जो खत अधूरा छोड़ा था तुमने,
तुम अपना बुरा हाल कह सकते हो।
हम मिले थे पिछले साल हर रोज,
तुम मुझे अंजान कह सकते हो।
मोहब्बत नहीं हुई मुकम्मल,
पर मुझे फटेहाल कह सकते हो।
तुम अपना मलाल कह सकते हो।।
कवि अमन कुमार शर्मा
हिंदी विभाग सदस्य भागलपुर विश्वविद्यालय
राजभाषा हिंदी विभाग सदस्य बिहार
7295977808
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments