Share0 Bookmarks 195566 Reads0 Likes
सफर का तालुक था कभी,
सफर से मोहब्बत थी कभी।
बदले थे शहर आहिस्ता आहिस्ता,
उनकी खबर थी मुझे।
रात दिन कुछ जुमनाम रहने लगा,
उसके दिल में सुबहों शाम रहने लगा।
मिली कसमाकस वेबाफाई में,
में उस शहर से दूर रहने लगा।
तस्वीर अब भी देखता हूं,
तकदीर अब भी देखता हूं।
वो खामोश हो गए हमसे होकर दूर,
हम उनकी तकलीफ ले जिंदा रहने लगे।
उस बेवफा की याद में जलने लगे,
लोगो के ब
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments