
आज कुछ लिखना है,
उनके लिए जो कभी मिले थे
आज कुछ लिखना है
उनके लिए जो रोज मिलते है
आज कुछ लिखना है
तुम्हारी व्यथा को
मेरी कहानी की तरह
आज कुछ लिखना है
तुम्हारे और कुछ मेरे बारे में
आज कुछ लिखना है
सफर की कुछ अनसुलझी कहानी को
आज कुछ लिखना है
तुम्हारे कहना की आशा तक
आज कुछ लिखना है
तुम्हारे सिर्फ तुम्हारे लिए
कुछ यादे कुछ ख्वाब लिए
तुम्हारी तस्वीर को निहारता
कुछ तो लिखना है
तुमसे झगड़ा करते
तुमसे रूठ कर
कुछ तो लिखना है
जो लोग पढ़े जो तुम सुनो
कुछ तो लिखना है
तुम्हारी कहानी को
जो गुमनाम सी हो गई है
इस जमी पर आसमान हो गई है
एक कहानी तो लिखनी है
इलाहाबाद की सड़को की
वो सर्द हवाओ के बारे में
कुछ तो लिखना है
तुम्हारी व्यथा को
अपनी कथा मानकर
कुछ तो लिखना है
वो मैला आँचल
खून सी लटपट दुपटा
तेज चलती गाड़िया
कुछ तो लिखना है
मेरे स्वेत कपडे मैले होने तक
कुछ तो लिखना है
तुम्हे याद करते करते
स्कूल की यादे
माघ का महीना
सिसकता हुआ चाँद
तुम्हे निहारता हुआ
कुछ तो लिखना है
उस तारीख के बारे में
एक दिवस के बारे में
जिसने मरने तक भय ख़त्म कर डाली
कुछ तो लिखना है
आरम्भ से अंत तक की कहानी
तुम्हारे होने और न होने तक का सफर
कुछ तो लिखना है
आग में जलती चिता तक की कहानी
सड़क से घर तक का सफर
कुछ तो लिखना है
तुम्हारी यादो को एक ख्वाब बना
कुछ तो लिखना है
कुछ तो लिखना है।
कवि अमन कुमार शर्मा
हिंदी विभाग सदस्य
राजभाषा बिहार
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