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वेदना श्रीकृष्ण की रुक्मनी के नयन तले
सिंच राधा के अश्रु से त्याग बोते जाना है,
मिरा की चेतना में श्याम के विवेक की
कर ब्याख्या है प्रेम हीं पूजा दोहराना है,
द्रौपदी के साड़ी के कोर में बटोर अब
जग में प्रेम के सम्मान को बचाना है,
वेदना श्रीकृष्ण की रुक्मनी के नयन तले
सिंच राधा के अश्रु से त्याग बोते जाना है।।।
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