विषय--- पितृ - दिवस
______पुत्र का पिता को स्नेह भेट______
आज पितृ दिवस के सुभ अवसर पर मैं अपनी लेखनी को एक अनंत विस्तार देने जा रहा हुँ। हालांकी इस बात में जितनी सच्चाई है की आज हर कोई अपने पिता के वृतांत का वर्णन हेतू साहित्य के दामन के समक्ष अपनी झोली फैलाय हर उस सुगम शब्द के समूह का मुहैया होने का कामना करेगा जिससे वो अपनी कलम को इतनी शक्ति दे सके की वो पिता की ब्याख्या करने में थोड़ा सहज अनुभव करे।
उतना हीं सच्चाई इस बात में भी है की किसी लेखक या लेखनी की सीमा इतनी बड़ी नहीं हो सकती की वो पिता के स्नेह से लेकर उनके दायित्व निर्वाहन तक का चित्रण कर सके।
पिता की शालीनता और योग्यता को किसी शब्द के पैमने पर नही आंका जा सकता। किसी भी पुत्र के लिए पिता एक ऐसे साक्ष्य हैं जो स्वयं चिर काल से अनंत काल तक प्र्तयक्ष हैं।
पिता में वो क्षमता है जो अपने पुत्र के सार्थक भविष्य हेतू कभी अपना विस्तार अनंत आसमान सा कर लेते है तो कभी खुद को खुद के हीं परिवेश में इस कदर समा लेते है मानो कोई बच्चा अपने माँ के गर्भ में सिमटा बैठा हो।
त्याग की भावना से लेकर सानिध्य की अनुभूति तक के हर एहसास का विश्लेशण पिता
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments