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अंधेरों में जो कैद़ कुछ उजाले हैं,
ये उम्मीद के चराग किसने पाले हैं?
टकटकी लगा के बैठे हो राहों पे,
ख़बर झूठी थी "वो आने वाले हैं!"
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अंधेरों में जो कैद़ कुछ उजाले हैं,
ये उम्मीद के चराग किसने पाले हैं?
टकटकी लगा के बैठे हो राहों पे,
ख़बर झूठी थी "वो आने वाले हैं!"
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