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मेरे सपने, मेरी बातें

kaushal kumar joshikaushal kumar joshi January 30, 2023
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मेरे सपने, मेरी बातें,

ख़ुशियाँ, दुखड़े, जागी रातें,

मुझ तक रहकर ख़त्म हुई


मेरे सपने, मेरी बातें....



एक ज़रा सी फाँस रहेगी,

जब तक बाक़ी साँस रहेगी,

मुझे बाँटनी थी जो तुझसे,

चुभती वो आवाज़ रहेगी,


शहनाई के शोर-शराबे,

सपनों की कितनी बारातें

मुझ तक रहकर ख़त्म हुई


मेरे सपने, मेरी बातें...


आज उदासी फिर आई है,

लौट सज़ा सी फिर आई है,

आँखों में बन कर के पानी,<

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