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ख़ुद चाँद की ख़्वाहिश है, "कि चाँद ला दो!"
अरे ये कैसी फ़रमाइश है? "कि चाँद ला दो!"
उनकी अदाओं से हूँ वाक़िफ़, मैं अच्छी तरह,
मुझे तो लगती ये साज़िश है, "कि चाँद ला दो!"
जिसने ख़ुद चाँदनी को नूर बख़्श रखा है,
ख़ुद करता सिफ़ारिश है, "कि चाँद ला दो!"
उनको ख़बर नहीं, ये चाँदनी उन्हीं से तो है,
कितनी मासूम गुज़ारिश है! "कि चाँद ला दो!"
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