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वह जान गईं, अब हम जान हैं उनके!
वह शाम गईं, अब हम चाँद हैं उनके !!
उन्हें लगता है मैं उन्हें समझता ही नहीं
तरन्नुम ए जहाँ में कोई उनसा भी नहीं
उन्हें प्यार है मुझसे और मैं काफिर हूँ,
इस दिल में अब कोई धरकता भी नहीं।
मुझसे मत पूछो ठिकाना इस दिल का
मैं होकर भी तुझमें ही लापता हूँ कहीं ।
चिदानंद कौमुदी..... ✍️
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