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फुर्कते इश्क मे आज उनके साथ उनकी अश्कों से भी बात हुई,
ला ईलाज लग रही उनकी जुबाँ से मेरे दिल की बेजुबाँ मुलाकात हुई,
दिल ने उनके अश्कों से पूछा आप कोई और संगदिल क्यूँ नहीं ढूंढ लेती।
अश्कों ने तस्सलूम से कहा आपसे इबादते इश्क़, आपकी तलब, आपके साँसो की धरक बर्षों से इस दिल की धरकन है, आपके बिछड़ जाने के दर्द का एतवार एक पल मे छुट जाए। आपसे प्रेम है आपकी प्रीत को, कोई आवारगी नहीं ?
।। चिदानंद कौमुदी ।।
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