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किसी विराने,
किसी मरुस्थल,
का हिस्सा हूं मैं
सुखा पड़ा ,
ज़मीन का कोई हिस्सा हूं मैं
कीमत क्या ,
मेरे होने का
ना होने का ,
कोई जवाब नहीं
मौका मिले
पानी पड़े,
नम होउ
तो कोई बात बने
नजर पड़े
किसी कुम्हार का ,
मार पड़े
किसी हथियार का ,
बनाए बिगाड़े
कुछ तो करे
ज्यादा नही थोड़ा सही ,
कुछ तो क़ीमत मे इज़ाफा करे
फिर बिक जाऊं
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