पास बैठो, मुस्कुराओ और क्या,
चाहता है दिल, यही सब और क्या।
और क्या तुझसे कहें, इसके सिवा,
तुम मिलोगे मुझसे, फिर कब और क्या।
इश्क़ में मज़हब, कहां से आ गया,
इश्क़ तो ख़ुद ही है, मज़हब और क्या।
भूख की खातिर, तमाशा बन के ख़ुद,
वो नटी करती थी, करतब और क्या।<
No posts
Comments