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मै छत पर था
वो हाथ में पकड़े खत पर थी
मै पढ़ता गया
रिश्ते की डोर पार होती हद पर थी।
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मै छत पर था
वो हाथ में पकड़े खत पर थी
मै पढ़ता गया
रिश्ते की डोर पार होती हद पर थी।
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