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खून बहा सरहद पर
सिर्फ और सिर्फ शहादद देखी
जो बहा गलियारो में
तेरी पूजा मेरी इबादत देखी
एक ही गुलाब की पत्तीयाँ
गुजरी जब बाजारो से
कुछ चडी मेरी अज़ान पर कुछ तेरी पूजा में
अगर उसे प्यारा नहीं था मेरा तेरा अलग होना
तो क्यू ही खिला वो कली से निकलकर
क्या
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