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खुदसे इतना लड़े क्यों।
सूरज भी रातो के अंधेरो से गुजर कर आता
फिर हम अंधेरो से डरे क्यों।
पूरा चाँद भी महिने में होता है
फिर हम लड़खड़ाकर ना आगे बढ़े क्यों।
मन निराशा से भरें क्यों
असफलता से डरें क्यों।
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